प्रतिरोधों के संयोजन (Combinations of Resistances) के बारे में मैंने इस वीडियो के अंतर्गत बताया है जिसमें
बहुत-से प्रयोगात्मक कार्यों में दो अथवा दो से अधिक प्रतिरोधों को संयोजित करने की आवश्यकता होती है। साधारणत:प्रतिरोधों को संयोजित करने की दो रीतियाँ हैं-
(1) श्रेणीक्रम में
(2) समान्तर-क्रम में
(1) श्रेणीक्रम में (In Series)-श्रेणीक्रम संयोजन में प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा अगले वाले प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़े। इस प्रकार इस संयोजन में सभी प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है।
(2) समान्तर-क्रम में (In Parallel)-समान्तर-क्रम संयोजन में प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि सभी के पहले सिरे एक बिन्दु से तथा दूसरे सिरे एक दूसरे बिन्दु से जुड़े। इस प्रकार के संयोजन में सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच एक ही विभवान्तर होता है।
तुल्य-प्रतिरोध (equivalent resistance)
तुल्य-प्रतिरोध वह प्रतिरोध है जिसे यदि जुड़े हुए प्रतिरोधों के स्थान पर लगा दें तो वैद्युत परिपथ की धारा पर कोई प्रभाव न पड़े।
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