Ek Sundar pravchan.
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।
साईं इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाए मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए।
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
रात गंवाई सोय कर, दिवस गंवायो खाय ।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ॥
आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर। एक सिंहासन चढ़ी चले, एक बँधे जात जंजीर।।
Негізгі бет Pravchan!बुरा जो देखन मैं चला..बुरा न मिलीया कोय| हभप शिवाजी शिंदे महाराज..एक सुंदर प्रवचन!
Пікірлер: 6