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भगवन साँची कहो ना विचारी ह क्या ॥
करके पत्थर की एक नारी आये मेरे पास खरारी,
नौका बनी काठ की म्हारी, इसकी बारी ह क्या।।साँची..॥
दोहा- मैंने सुना प्रभु आपके ,चरणो मे जाने बात क्या,
छूते सिला नारी हुई, तो काठ की औक़ात क्या।
मेरा यही रूजगार है, रूजागर की प्रभु जात क्या,
करिये कृपा करुणा निधि,मुझ दीन के संग घात क्या।
टेर- मेरी बनी काठ की तरणी,परीक्षित चरन पड़े मूनी धरनी,
मेरी फिर क्या खोटी करनी ,नाथ धारी ह क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या…………......॥1॥
दोहा- चरणार बिंदु की शपथ, अब ही मंगाई हैं नई,
दो चार दिन ही तो चली, प्रभु मानिये मेरी कही।
झूठ नही ये सत्य हैं, वन मे शिला नारी बनी,
वाहन कठिन है काठ का, कैसे भरोसा हो सही।
टेर- मेरी जाव नाव उड़ाई, रोवे बचे और लुगाई,
कैसे पालूँ कुटुम्ब गोंसाईं, नाथ धारी ह क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या………….…॥2॥
दोहा- स्वीकार विनती है अगर, तो स्वीकृति ये प्रभु दीजिए,
पहले चरन धूलवाइये, इतना अनुग्रह कीजिये।
जब तक न पद पंकज पखारूँ, नाव नाथ न लीजिये,
नैया मैं नाही लाने दूँ, नाथ केतिक कीजिये।
टेर- ऐसा समय फेर ना आनी, सारी बात कहूँ मनमानी,
फिर मत कहना सारंगपानी,ये अनाड़ी ह क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या………….……॥3॥
दोहा- केवट के ये वचन सुन, राजीव नयन मुस्कागये,
ये प्रेम देख केवट का प्रभु, सिया लखन संकुचा गये।
केवट कुटुम्ब भी ले कथौता, गंगा तट पर आ गये,
ये दृश्य देखन देवता ले यान, नभ पर छा गये।
टेर- जे पद ब्रह्मादिक ना धोये वो पद केवट मल मल धोए,
सारे पाप जन्म का धोवे,इसमें ग्वारी हैं क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या………….…॥4॥
दोहा- धोकर के प्रभु पद चला,और नाव लगाई पार हैं,
प्रभु के सहित बलि लगा, करता चला जयकार हैं।
देव हर्षत पुष्प बरसत, धन्य माँझी परिवार हैं,
प्रभु से भी पहले तू हुआ, इस भव सागर से पार है।
टेर- उतरे सुरसरी तट हरषाई, मन मे संकुचे श्री रघुराई,
इसको क्या देवे उतराई, हाथ खाली हैं क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या……………….॥5॥
दोहा- जान पिये की बात हिये की,मुद्रिका सिये ने दई,
देने लगे केवट को प्रभु, कह के अनुचित ना लई।
गंगा का माँझी मे अगर, तो भव सिन्धु का माँझी थे ही,
करिये कृपा करुणानिधि, बस यही ह मेरी उतराई।
टेर- करके प्रभु पद चरन प्रणाम, केवट हर्ष चला निज धाम,
जपता पतिक शम्भु घनश्याम, सुध बिसारी ह क्या॥
राम साँची बता दो बिचारी हैं क्या…………………….॥6॥
॥समाप्त॥
Негізгі бет पुरानाभजन- केवट संवाद,राम सांची बता दो बिचारी हैं क्याby Dhan ji Pujari
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