प्यार प्रभु का मीठा है (127)
प्यार प्रभु का मीठा है मधु से भी मधुर महान्,
उसकी पावन खुशबू सब फूलों से बढ़कर महक उठे ।
1. करूँ समर्पण पूणरूप से निज स्वामी के चरणों में ( 2 )
मेरे जीवन का आधार , उसे निहारूँ बारंबार ।
2. वही अकेला सत्य मार्ग है , उसपर मेरा है विश्वास ( 2 )
मेरे जीवन का आहार , उसे सराहूँ बारंबार ।
3. रहूँ मैं जीवित सदा सर्वदा प्रभु की शीतल छाया में ( 2 )
मेरे जीवन की आशा उसे बखानूँ बारंबार ।
Негізгі бет प्यार प्रभु का मीठा है (127) Pyar Prabhu ka mitha hai
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