इस वीडियो में मेने राग राग बागेश्री प्रस्तुत किया है जो कि काफी थाट से उत्पन्न हुआ है
इस राग का सम्पूर्ण परिचय नीचे दिया गया है
राग बागेश्री थाट काफी का राग है | इस राग की जाती औडव - सम्पूर्ण है | वादी स्वर मा तथा संवादी स्वर सा है |
इस राग का गायन वादन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर ७ बजे से १० बजे तक है |
राग बागेश्री रात्रि के रागों में भाव तथा रस का स्त्रोत बहाने वाला मधुर राग है।
इस राग को बागेसरी, बागेश्वरी आदि नामों से भी पुकारा जाता है।
राग की जाति के संबंध में अन्य मत भी प्रचलित हैं, कोई इसे औड़व -संपूर्ण तो कोई इसे सम्पूर्ण-सम्पूर्ण मानते हैं।
इस राग में रिषभ का प्रयोग अल्प है तथा उस पर अधिक ठहराव नहीं किया जाता।
परंतु आरोह में रिषभ वर्ज्य करने से यथा ,नि सा मा गा रे सा अथवा सा गा मा गा रे सा,
ये स्वर संगतियाँ राग भीमपलासी की प्रतीत होती हैं।
अतः बागेश्री में रे गा मा गा रे सा, इन स्वरों को लेना चाहिए।
वैसे ही ,नि सा गा मा इन स्वरों के स्थान पर सा रे गा मा लेना अधिक उचित प्रतीत होता है।
इसके आरोह में पंचम स्वर वर्ज्य है तथा अवरोह में पंचम का प्रयोग वक्रता से करके इसको राग काफी से अलग किया जाता है। जैसे - सा' नि ध मा प ध म गा रे सा। पंचम का प्रयोग भी अल्प ही है। आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य करने पर राग श्रीरंजनी सामने आ जाता है। अतः इसकी जाति षाढव-संपूर्ण ही उचित प्रतीत होती है। राग का सौदर्य निखारने के लिये सा म; नि१ ध; ध मा इन स्वर समूहों को मींड के साथ प्रयोग मे लाते हैं।
राग बागेश्री का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। जैसे - मन्द्र सप्तक , मध्य सप्तक एवं तार सप्तक
आरोह :- सा ग॒ म ध नि॒ सां
अवरोह :- सां नि॒ ध म ग॒ रे सा
पकड़ :- म ध नि॒ ध म ग॒ रे सा
Негізгі бет Музыка राग बागेश्री | बंदिश - कौन करत तोरी बिनती पियरवा | छोटा ख्याल | तीनताल - द्रुत लय
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