राजा बलि को माता लक्ष्मी ने दिए दर्शन - राजा बलि कैसे बना महादान वीर - Vishnu Puran - @Shiv Leela
Vishnu Puran Tv Serial Ep - 44
राजा बलि का अहंकार (Raja Bali Ka Ahankar)
चूँकि उसका जन्म प्रह्लाद के कुल में हुआ था लेकिन दैत्य जाति होने के कारण उसके अंदर अहंकार ज्यादा था। वह दानवीर होने के साथ-साथ अधर्म रुपी कार्य भी करता था। हालाँकि वह भगवान विष्णु का भक्त भी था लेकिन देवताओं आदि से वह ईर्ष्या रखता था। इसी ईर्ष्या में उसने इंद्र को उनके सिंहासन से अपदस्थ कर दिया (Raja Bali Aur Indra Ka Yuddh) था।
उसने अपने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से सौ अश्वमेघ यज्ञों का आयोजन करवाया था। 99वें यज्ञों का वह सफलतापूर्वक आयोजन कर चुका था और यदि वह सौवां यज्ञ भी निर्विघ्न आयोजित कर लेता तो इंद्र के पद पर वह हमेशा के लिए आसीन हो जाता।
उसके इस कृत्य से देवताओं में भय व्याप्त हो गया लेकिन किसी में भी उसे रोकने की शक्ति नही थी। स्वयं देवराज इंद्र असहाय अनुभव कर रहे थे। जब वह सौवां यज्ञ आयोजित करने जा रहा था तब इंद्र सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु से सहायता मांगने गए तथा धर्म की रक्षा की बात की।
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