जयचंद के खिलाफ फर्जी किताबे चाहे जब भी लिखी गई हो.. लेकिन उनके खिलाफ दुष्प्रचार वीपी सिंह द्वारा मंडल कमीशन लागू किये जाने के बाद किया गया. यही कारण है कि समाज मे पिछली पिढीयो मे जयचंद नाम के हजारो हजार लोग है. 🚩 नमामि बुध्द सेनापति जयचंद राया 🚩
@Gaotami
२१वी सदी के महान इतिहासकार डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह जी Love You ❤
@Dr.Strange_0
माननीय डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह जी आपके जैसे असली इतिहासकार भारत के ASI मे होना चाहिए ताकि देश के लोगों को असली इतिहास पता चले। आपका धन्यवाद इस प्रमाणिक इतिहास को बताने के लिए 🙏🏻
@drmpsinha6461
राजा जयचन्द के बारे में सबसे ज्यादा भ्रम एक छुटभैये चन्दरबरदाई नामक एक चारण ने पैदा किया है। चन्दरबरदाई पृथ्वीराज चौहान से कम से कम १५० वर्ष बाद में पैदा हुआ था । जयचन्द पराक्रमी राजा थे और उनका राज्य कन्नौज से बनारस तक था। इटावा जिला में एक संयुक्त जमीन थी जिसपर जयचन्द और पृथ्वीराज दोनों का अधिकार था। इसी में दोनों पक्षों में वैमनस्य था । संयुक्त को संयोगिता बनाकर चंद्रबरदाई ने जयचन्द की इज्जत पर कीचड़ उछाल दिया। विस्तार में भगवत शरण उपाध्याय की इतिहास की पुस्तक में जयचन्द के बारे सही जानकारी दी गई है ।
@harvendrasingh9795
आचार्य रामचंद्र शुक्ला ने "लाइट ऑफ़ एशिया" का अनुवाद बृजभाषा में करके बुद्धचरित के नाम से लिखा जिससे, अश्वघोष के बुद्धचरित पर भ्रम पैदा कर दिया।
@guljarilal4978
राजेंद्र प्रसाद सिंह जी, आपने पुरा इतिहास खोल कर रख दिया जनता को सही जानकारी मिल रही है
@nagindasvispute8162
कृपया आपको इतिहास की सही जानकारी के लिए श्रीमान राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी की सभी किताबें पढनी चाहिए । तभी सही सही इतिहास मालुम पडेगा ।
@jatavsolanki9808
डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह इतिहास की सत्य घटनाओं को उद्घाटित कर रहे हैं,यह बहुजन समाज के गौरव है। वर्तमान में इतिहासकारों में आपका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा।आप जैसे बुद्धिजीवी को नमन।
@sunilkadam7455
सर आप विद्वान् हे, जय चन्द के इतिहास के गलत ब्रह्मिक छबि को आपने बड़े ही खूबसूरत तरह से स्पष्ट किया है, मनुवाद हर धम को मानने वाले शासक को या प्रभाव शालि व्यक्ती को पूरी तरह से बुरा गलत चरित्र बनानें का अथक प्रयास किया जाता रहा है ।।
@dr.prembahadurgautam9056
सर, यही कहानी text book में पढ़ा पढ़ा कर बचपन में गुमराह किया जो आज तक दिमाग में पड़ी हुई है, पृथ्वीराज, जयचंद और संयोगिता की कहानी। ऐसा कलमकासाई ही लोग कर सकते हैं।🎉👌🙏
@ashokgholap7067
इस का मतलब यह है , की जो जो बौद्ध राजा थे उन को बदनाम करने हेतु यह सारा झूठा इतिहास या ग्रंथ लिखे गये , तो यह झगडा वैदिक संस्कृति विरूद्ध बौद्ध संस्कृति का है ! हम सब को अपनी बौध्द संस्कृति भुलनी नहीं चाहिए तथा उस का उध्दार करना चाहिए !
@atgayakwad765
बहुजन समाज में आप जैसे बुद्धि जीवी विद्यावान की और जरूर है जिसे भारत का सच्चा इतिहास का पता चल सके
@vinodkumarr7861
बहुत बढ़िया जानकारी दी है सर आपने।।ये तो फिर एक अलग ढंग से इतिहास लिखने कि जरूरत है।। ताकि इतिहास के साथ न्याय हो सकें।।
@SewaRam-jx1dz
आदरणीय राजेंद्र प्रसाद सिंह जी बहुत-बहुत साधुवाद और आपके चरणों मे कोटि-कोटि नमन् 🎉
@Nature.55442
बस आपके अनुभव और ज्ञान की जरूरत है हम सभी को
@Kamalkamal-nn9ig
बहुत बढ़िया बहुत ही शानदार विचार विश्लेषण पेश किया है बहुजन समाज को जागरूक करने का ज़बर्दस्त्ब प्रयास के लिए दिल से धन्यवाद राजेंद्र सर जी 🙏🙏
@drmpsinha6461
डाक्टर साहब आपको हृदय से आभार। जयचन्द पराक्रमी राजा थे और उनके सामने पृथ्वीराज छोटे राजा थे । जयचन्द को लड़ाई में अचानक चोट लग गई और वे हाथी से गिर पड़े और सेना भाग गई। उनका राज्य कन्नौज से बनारस तक था । उनके बारे में सविस्तार वर्णन डॉ भगवत शरण उपाध्याय की पुस्तक में है । डाक्टर उपाध्याय बी एच यू में प्रोफेसर थे । मैंने उनकी पुस्तक को १९५६ में पढ़ा था । उन दिनों बिहार में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा था ।
@ghewarchand_39
जय भीम नमो बुद्धाय जय जोहार जय मूलनिवासी जय भारत जय संविधान
@Usdramtic
Great Historian.....we are fortunate to be educated by a great personality Mr. Rajendra Prasad Singh
@parijatsingh3114
आप इस समय के सब बड़े भाषा विज्ञानी हैं, लगे रहें। ये एंटेना वाले जो खुद ही पाप में डूबे हुए हैं, उनके मुंह पे थूकने के मजबूर करते हैं। आपको साधुवाद। में आपका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं।
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