"Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 59 - Sri Krishna and Balarama's war with Jarasandh
मगध का राजा जरासंध अपने जमाता कंस की मौत का प्रतिशोध लेने के लिये अपनी सेना के साथ मथुरा को घेर लेता है किन्तु नगर में प्रवेश करने से पूर्व वह राजा शूरसेन को पत्र भेजकर शर्त रखता है कि यदि कृष्ण और बलराम को उसके सुपुर्द कर दिया जाये तो वह मथुरा का विध्वंस नहीं करेगा। मथुरा की राजसभा में अक्रूर इस पत्र को पढ़ते हैं। कुछ मंत्री पत्र की शर्तों पर भड़क उठते हैं। किन्तु कृष्ण स्वयं उठकर कहते हैं कि मथुरा के हित में वह और बलदाऊ नगर से बाहर निकल कर जरासंध के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे। जरासंध इसे बिना लड़े अपनी जीत मानता है। दूसरे दिन प्रातः जब दोनों भाई मथुरा से बाहर जाने के लिये मार्ग पर निकलते हैं तो हर कहीं यही पुकार उठती है कि वे आत्मसमर्पण करने न जायें। कुछ लोग तो उनके पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाते भी हैं लेकिन कृष्ण बलराम अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ने से नहीं रुकते। यहाँ तक कि नगर का द्वार रक्षक भी बहुत ही मुश्किल से नगर का द्वार खोलने के लिये राजी होता है। सेनापति अक्रूर भी एक बलिदानी जत्था लेकर कृष्ण के साथ जाने का हठ करते हैं। कृष्ण राजी होते हैं किन्तु उन्हें अपने पीछे आने को कहते हैं। जरासंध कृष्ण के पीछे कुछ सैनिकों को आते देखता है तो बाणासुर से इसकी वजह पूछता है। इसपर बाणासुर उपहास उड़ाने के अन्दाज में कहता है कि यह कृष्ण और बलराम के मृत शरीरों को उठाकर वापस मथुरा ले जाने के लिये आ रहे हैं। जरासंध अपने साथी राजाओं से कहता है कि कृष्ण और बलराम का वध मुझे अकेले करने दिया जाये। रणभूमि के मध्य में पहुँचने पर कृष्ण और बलराम ठहरते हैं और कृष्ण अपनी उँगली आकाश की ओर उठाकर कोई संकेत भेजते हैं। नीला आकाश लाल पड़ जाता है। बिजलियाँ कड़कने लगती है। यह दृश्य देखकर जरासंध के सैनिकों में भय से भगदड़ मच जाती है। हाथी और घोड़े भी बिदक जाते हैं। अक्रूर प्रभु की लीला देखकर नतमस्तक होते हैं। जरासंध और शल्य की आँखों के सामने बिजलियाँ कौंधने लगती हैं और उन्हें दिखना बन्द हो जाता है। तभी आकाश मार्ग से दो दिव्य रथ सारथियों के साथ धरती पर उतरते हैं। रथ के पीछे पीछे पाँच अस्त्र शस्त्र भी प्रकट होते हैं। श्रीकृष्ण इनमें से सुदर्शन चक्र, गदा और धनुष धारण करते हैं। वस्तुतः श्रीकृष्ण इस अवतार में पहली बार अपना सुदर्शन चक्र धारण करते हैं। इसके बाद सावर्तक हल प्रकट होता है जिसे हलधर बलराम मूसल के साथ धारण करते हैं। बलराम सदा ही हल और मूसल को अस्त्र बनाकर दुष्टों का संहार करते हैं। अस्त्र शस्त्र धारण करने के बाद श्रीकृष्ण बलराम से कहते हैं कि हम दोनों पहली बार युद्ध लड़ने जा रहे हैं और इस अवतार में आप बड़े हैं तो इस युद्ध के सेनापति आप ही होंगे और आगे रहकर युद्ध का संचालन करेंगे। इस पर बलराम शर्त रखते हैं कि मैं युद्ध अपनी नीति से लड़ूगा और कृष्ण बीच में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं कि आप जरासंध का वध न करें। जरासंध को अपमानित कर जीवित छोड़ देने पर वह पुनः दुष्ट राजाओं को एकत्र करेगा और पुनः आक्रमण करेगा। इस तरह हमें मथुरा में बैठे-बैठे दुष्ट राजाओं के संहार करने का अवसर मिलता रहेगा। श्रीकृष्ण पान्चजन्य शंख बजाकर युद्ध की घोषणा करते हैं। शंखनाद सुनकर जरासंध शल्य से कहता है कि यह आत्मसमर्पण नहीं हो सकता। हमें धोखा दिया जा रहा है। वह अपनी सेना को आक्रमण करने का आदेश देता है। श्रीकृष्ण अपना सुदर्शन चक्र शत्रुदल पर चलाते हैं। अक्रूर भी अपने मुठ्ठी भर सैनिकों को लेकर रण में कूद पड़ते हैं। जरासंध और उसके सहयोगी राजा हर प्रकार के अस्त्र शस्त्र को प्रयोग करते हैं किन्तु श्रीकृष्ण और बलराम उनके हर प्रहार को विफल कर देते हैं। इसके बाद दोनों भाई उनका वध करने से पहले उनका अहंकार तोड़ते हैं। पहले सभी राजाओं को मुकुट विहीन किया जाता है और फिर रथ और शस्त्र विहीन। रणभूमि में चारों ओर लाशें ही लाशें बिछी हैं। जरासंध गदा लेकर बलराम का सामना करने आता है। प्रारम्भ के कुछ प्रहार बलराम के शरीर को चोट पहुँचाते हैं। यह देख अक्रूर उनकी सहायता को आगे बढ़ना चाहते हैं किन्तु श्रीकृष्ण उन्हें रोक देते हैं। वह जानते हैं कि बलदाऊ शेषावतार हैं। अभी वह कुछ देर जरासंध के साथ खेल खेलना चाहते हैं। जरासंध भी बलवान है। दोनों के बीच भीषण गदायुद्ध होता है।
Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev
संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव
Cast / पात्र
Sarvadaman D. Banerjee
सर्वदमन डी. बनर्जी
Swapnil Joshi
स्वप्निल जोशी
Ashok Kumar
अशोक कुमार बालकृष्णन
Deepak Deulkar
दीपक डेओलकर
Sanjeev Sharma
संजीव शर्मा
Pinky Parikh
पिंकी पारिख
Reshma Modi
रेशमा मोदी
Shweta Rastogi
श्वेता रस्तोगी
Paulomi Mukherjee
पौलोमी मुखर्जी
Sunil Pandey
सुनील पांडेय
Damini Kanwal
दामिनी कँवल
Sulakshana Khatri
सूलक्षणा खत्री
In association with Divo - our KZitem Partner
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Негізгі бет रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 59 - श्री कृष्ण और बलराम का जरासंध के साथ युद्ध
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