सनातन काल से मंत्रद्रष्टा, सत्यद्रष्टा ऋषि भारत-भूमि पर समय-समय पर आगमन करते रहे हैं और देवता भी इस भारतभूमि पर जन्म लेने को लालायित रहते हैं -
गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ये भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।। - विष्णुपुराण (२।३।२४)
आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक महापुरुषों ने अपने तपोबल से इस भारत भूमि को सींचा है। यह ऋषियों का सातत्य और महापुरुषों की तपस्या का ही परिणाम है कि अनेक आक्रमण होने के पश्चात भी आक्रमणकारी कभी भी भारत को वैचारिक रूप से खण्डित नहीं कर सके।
अखण्ड सनातन संस्कृति का विचार जैसे सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:, सत्यमेव जयते, तत्त्वमसि, सर्वं खल्विदं ब्रह्म आदि महावाक्य प्राचीन काल से वर्तमान काल तक प्रत्येक भारतवासी के मानस में निरंतर गतिशील हैं और यह प्रवाह आगे भी इसी प्रकार बना रहेगा।
संघर्ष काल के समय भी ऐसे अनेक योद्धा भारत भूमि पर अवतरित हुए जिनमें आध्यात्मिक गुरु, वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी, कवि, मातृशक्ति व कलाकार जिन्होंने अपने सामर्थ्यबल से भारत-भूमि को परतंत्रता की बेड़ियों से स्वतन्त्र कराने का सार्थक प्रयास किया । लेकिन समय के प्रवाह व अन्य कारणों से इनका बहुमूल्य योगदान केवल कहानियों और लोककथाओं में सीमित होकर रह गया। वर्तमान युवापीढ़ी का इतिहास की महान आत्माओं से परिचय कराने और उनको सच्ची श्रद्धांजलि देने हेतु प्रस्तुत है आपके समक्ष - सर्वमयं संस्कृतं
Негізгі бет रामायणकालीन संस्कृति एवं सभ्यता || Outline of Culture & Civilization in Sanskrit Literature
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