आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसी दास जी ने संसार को सियाराम मय जाना। जड़-चेतन का भी भेद नहीं समझा। उन्होंने रामचरितमानस में निषादराज, केवट, माता शबरी आदि को जो उच्च स्थान दिया है, वह अद्वितीय है। जब भरत जी निषाद राज से मिलते हैं तो उन्हें भ्राता लक्ष्मण जैसा स्नेह करते हैं।
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रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास पर महावीर मन्दिर की विद्वद् गोष्ठी में दूर हुईं भ्रान्तियाँ
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