श्रीनित्यानन्द तत्त्व
1. श्रीनित्यानन्द प्रभु स्वयं संकर्षण हैं जो परम व्योम व्यापी वैकुण्ठ में निवास करते हैं।
2. सभी पुरुषावतार और श्रीशेष जी नित्यानन्द प्रभु के अंश हैं।
3. करणार्णवशायी विष्णु, जो कि स्वयं संकर्षण हैं, श्रीनित्यानन्द प्रभु का ही एक स्वरूप हैं। तथा गर्भोदकशायी विष्णु, (जिनसे ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होती है, और सभी अवतार प्रगट होते हैं), वे श्रीनित्यानन्द प्रभु के अंश हैं।
4. श्रीनित्यानन्द प्रभु श्रीबलराम जी से अभिन्न हैं जो साक्षात श्रीभगवान ही हैं।
5. नित्यानन्द प्रभु श्रीकृष्ण के पंच-तत्वात्मक स्वरूप में 'भक्त-स्वरूप' हैं।
6. नित्यानन्द प्रभु श्रीगौरांग महाप्रभु के वस्त्र, पादुका आदि के रूप में विराजमान होकर उनकी सेवा करते हैं।
श्रीनित्यानन्दद्वादशनामस्तोत्रम्
नित्यानन्दोऽवधूतेन्दुर्वसुधाप्राणवल्लभः ।
जाह्नवीजीवितपतिः कृष्णप्रेमप्रदः प्रभुः ॥ १॥
पद्मावतीसुतः श्रीमान् शचीनन्दनपूर्वजः ।
भावोन्मत्तो जगत्त्राता रक्तगौरकलेवरः ॥ २॥
श्रीनित्यानन्दचन्द्रस्य नामद्वादशकं शुभम् ।
य इदं प्रत्यहं प्रातः प्रत्युत्थाय पठेन्नरः ॥ ३॥
स क्लेशरहितो भूत्वा प्राप्नुयात्स्वमनोरथम् ।
तूर्णं चैतन्यदेवस्य करुणाभाजनं भवेत् ॥ ४॥
इति सार्वभौम भट्टाचार्यविरचितं
श्रीनित्यानन्दद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
।। श्री राधारमणो जयति ।।
।। जय गौर ।।
अवधूतशिरोमणि, श्रीजाह्नवा-वसुधा प्राणवल्लभ, पद्मावती-हृदयानंददाता, कपटपावन श्रीगौर-प्रेम-रस-मदिरा-उन्मत्त श्रीमन्नित्यानन्द प्रभु परमदयाल के मङ्गलमय प्राकट्य की समस्त सृष्टि को बधाई हो बधाई हो !!!
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सर्व अवतारी कृष्ण स्वयं भगवान ।
तहार द्वितीय देह- श्री बलराम ।।
एकइ स्वरूप दुई भिन्न मात्र काय ।
आद्य कायव्यूह कृष्ण लीलार सहाय ।।
सेई कृष्ण नवद्वीपे श्री चैतन्यचंद्र ।
सेई बलराम संगे श्री नित्यानंद ।।
(चै. च. आदि)
नाम रुपे तुमि नित्यानंद मूर्तिमंत ।
श्रीवैष्णव धाम तुमि ईश्वर अनंत ।।
तोमार महिमा जानि वार शक्तिकार ।
मूर्तिमंत तुमि कृष्ण रस अवतार ।।
बाह्य नाहि जान तुमि संकीर्तन सुखे ।
अहर्निश कृष्ण-गुण तोमार श्रीमुखे ।।
(चै. भा.)
🙌🏻🙌🏻श्रीबालनिताई परमसुखदायी🙌🏻🙌🏻
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