श्रीरामचरितमानस " रति को वरदान" Balkand | Ramayan |SHLOKYT®
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From Shri Ram Charit Manas
Shlokas with explanation as follows ...
बालकाण्ड अध्याय बालकाण्ड अध्याय से क्रमशः शाश्वत दर्शन.......
रति को वरदान / Boon to Rati
दोहा :
अब तें रति तव नाथ कर होइहि नामु अनंगु।
बिनु बपु ब्यापिहि सबहि पुनि सुनु निज मिलन प्रसंगु॥87॥
चौपाई :
जब जदुबंस कृष्न अवतारा।
होइहि हरन महा महिभारा॥
कृष्न तनय होइहि पति तोरा।
बचनु अन्यथा होइ न मोरा॥1॥
रति गवनी सुनि संकर बानी।
कथा अपर अब कहउँ बखानी॥
देवन्ह समाचार सब पाए।
ब्रह्मादिक बैकुंठ सिधाए॥2॥
सब सुर बिष्नु बिरंचि समेता।
गए जहाँ सिव कृपानिकेता॥
पृथक-पृथक तिन्ह कीन्हि प्रसंसा।
भए प्रसन्न चंद्र अवतंसा॥3॥
बोले कृपासिंधु बृषकेतू।
कहहु अमर आए केहि हेतू॥
कह बिधि तुम्ह प्रभु अंतरजामी।
तदपि भगति बस बिनवउँ स्वामी॥4॥
देवताओं का शिवजी से विवाह के लिए प्रार्थना करना, सप्तर्षियों का पार्वती के पास जाना
दोहा :
सकल सुरन्ह के हृदयँ अस संकर परम उछाहु।
निज नयनन्हि देखा चहहिं नाथ तुम्हार बिबाहु॥88॥
चौपाई :
यह उत्सव देखिअ भरि लोचन।
सोइ कछु करहु मदन मद मोचन॥
कामु जारि रति कहुँ बरु दीन्हा।
कृपासिन्धु यह अति भल कीन्हा॥1॥
सासति करि पुनि करहिं पसाऊ।
नाथ प्रभुन्ह कर सहज सुभाऊ॥
पारबतीं तपु कीन्ह अपारा।
करहु तासु अब अंगीकारा॥2॥
सुनि बिधि बिनय समुझि प्रभु बानी।
ऐसेइ होउ कहा सुखु मानी॥
तब देवन्ह दुंदुभीं बजाईं।
बरषि सुमन जय जय सुर साईं॥3॥
अवसरु जानि सप्तरिषि आए।
तुरतहिं बिधि गिरिभवन पठाए॥
प्रथम गए जहँ रहीं भवानी।
बोले मधुर बचन छल सानी॥4॥
दोहा :
कहा हमार न सुनेहु तब नारद कें उपदेस॥
अब भा झूठ तुम्हार पन जारेउ कामु महेस॥89॥
मासपारायण, तीसरा विश्राम
चौपाई :
सुनि बोलीं मुसुकाइ भवानी।
उचित कहेहु मुनिबर बिग्यानी॥
तुम्हरें जान कामु अब जारा।
अब लगि संभु रहे सबिकारा॥1॥
हमरें जान सदासिव जोगी।
अज अनवद्य अकाम अभोगी॥
जौं मैं सिव सेये अस जानी।
प्रीति समेत कर्म मन बानी॥2॥
तौ हमार पन सुनहु मुनीसा।
करिहहिं सत्य कृपानिधि ईसा॥
तुम्ह जो कहा हर जारेउ मारा।
सोइ अति बड़ अबिबेकु तुम्हारा॥3॥
तात अनल कर सहज सुभाऊ।
हिम तेहि निकट जाइ नहिं काऊ॥
गएँ समीप सो अवसि नसाई।
असि मन्मथ महेस की नाई॥4॥
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