हमारे पुरखे सजस्थान हेंदगादुली से थे अभी हम गुजरात, महीसागर जिले में रहते हे।
@TechnoTraderzOfficial
3 ай бұрын
Jay Mata Ji Ki 🚩 'Rawal' is derived from the esteemed ancient Sanskrit bhasa, imparting a notion of honour. In a symbolic sense, it also embodies the sanctity of a pledge. It is for this very reason that the epithet 'Rawal' was granted, signifying an individual's distinguished station within the royal monarch's court or domicile. With the profoundest respect, I entreat the Charan sirdaar to avoid the circulation of misshapen tales regarding the occupation of certain families in the Marwad region, who found themselves constrained to assume specific traditions owing to aridity, or those select families that claim affinity with genealogy or the custom of rammat. It is equally imperative to apprise the community that to denigrate one's own Patronized tribe for the mirage of vainglory is not to be lauded. Our forefathers have bequeathed to us an enduring esteem for the Charans, and it is this identical esteem that we await from their scions. May Mata ji bless & protect Charans and Rawals ------------------------------------------------ जय माता जी की सा 🚩 'रावल' शब्द की उत्पत्ति प्रतिष्ठित प्राचीन संस्कृत भाषा से हुई है, जो सम्मान की अवधारणा को प्रदान करती है। प्रतीकात्मक अर्थ में, यह वचन की पवित्रता को भी दर्शाता है। इसी कारण से 'रावल' उपाधि प्रदान की गई थी, जो राजा के दरबार या निवास में किसी व्यक्ति के उच्च स्थान को सूचित करती है। गहरे सम्मान के साथ, मैं चारण सरदार से विनती करता हूँ कि वे मारवाड़ क्षेत्र के कुछ परिवारों के व्यवसाय के बारे में विकृत कहानियों का प्रसार न करें, जो सूखे के कारण विशेष परंपराओं को अपनाने के लिए बाध्य हुए थे, या उन चुनिंदा परिवारों के बारे में जो वंशावली या रम्मत की प्रथा का दावा करते हैं। समुदाय को यह भी अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है कि अपने ही संरक्षित जाति को व्यर्थ की शान के लिए नीचा दिखाना प्रशंसनीय नहीं है। हमारे पूर्वजों ने हमें चारणों के लिए एक स्थायी सम्मान दिया है, और हम उनके वंशजों से इसी सम्मान की आशा करते हैं। माता जी चारणों और रावलों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करें।
@MarwadiJourney
3 ай бұрын
जय माता जी की हुक्म
@krushnamofficial9389
2 ай бұрын
Hii
@Humblefoodblogger
9 ай бұрын
गिरधर दान जी आपकी वाकपटुता और चालाकी तो काबिल ए तारीफ है। श्रीमान एक गाल पर आप तो आप थाप लगाते हो और दूसरी तरफ सहलाते है वाह क्या खूब। श्रीमान आप रावल जाती को परिभाषित कर रहे है! वैसे आप ज्ञान ही कितना रखते है इतिहास का जो रावल जाती को परिभाषित कर सके! आपका ज्ञान तो चीख चीख कर केवल यह बोल रहा है कि किस प्रकार स्वयं को श्रेष्ठ बता कर अन्य को गलत ढंग से बताया जाए। श्रीमान पहले तो आप ये शोध करे की रावल क्या वास्तव में एक जाति है? और अगर जाती ही है तो किस तरह बनी और रावल शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है। आप स्वयं सर्व प्रथम रावल शब्द को परिभाषित करने के लिए क्षत्रिय शब्द का उपयोग करते है फिर यह कह कर ब्राह्मण भी सिद्ध करते है कि रावल तो शादी ब्याव का कार्य भी करवाते है यदि कोई शादी करवाने वाला ब्राह्मण मौजूद नहीं हो अर्थात अब आप रावल शब्द को परिभाषित करने हेतु ब्राह्मण की उपमा देते है। फिर आप अंत में यह बताते है की रावल तो वंशावली लिखने का कार्य करते है और रम्मत अर्थात खेल तमाशा दिखाने का कार्य करते है। श्रीमान ये सभी बाते आपस में उसी तरह बेमेल है जिस तरह पेट्रोल में पानी। पेट्रोल में पानी चाहे जितना डाल दो वो कभी उसमे नहीं घुलेंगे और साथ ही अलग अलग ही दिखाई देंगे। श्रीमान शहद का एक ही गुण है वो है मिठास,अब आप कहे की शहद तो मीठा होता है परंतु कभी कभी वह कड़वा भी लगता है फिर कभी एक आध बार वह तीखा भी लगता है तो हुकम आपके कहने से वह अपनी मिठास बदलेगा नही। श्रीमान अब में बता देना चाहता हु की रावल एक पदवी है जो ब्राह्मणों,क्षत्रियों,योगियों को मिली है आप इतिहास उठा कर देख लो रावल पदवी इन्ही में किसी को मिली है। अब बात आती है की तो रावल कौन है? तो श्रीमान रावल ब्राह्मणों में भी है,क्षत्रियों में भी है योगियों में भी है और कहे तो गुर्जरों में भी मिल जायेंगे। अब बात आती है की किन रावल वर्ग के लोगो को आप अपनी पोथी लिखने वाले बता रहे है तो में बता दू जो रावल क्षत्रिय है राजपूत है उनको आप इस प्रकार की श्रेणि में रख रहे है,इसमें आप ही नही आपसे पहले के लोगों ने भी रावल राजपूतों को इस श्रेणी में रखने का भरपूर प्रयास किया है। इंटरनेट और कई सारी पुस्तको में भी जान बूझ कर रावल जो क्षत्रिय वर्ण में आते है उनको याचक बता बता कर एक अलग छवि बनाने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात तो आपने खुद ने सबसे पहले बोला की रावल क्षत्रिय है तो आप विचार कीजिए एक क्षत्रिय जाति के लोग किसी की बही लिखने का काम कैसे कर सकते है? श्रीमान रावल क्षत्रिय राजपूत है इनका बही बांचने से कोई ताल्लुक नहीं है। और जो ये कार्य आज कर रहे है उनका अन्य रावल सिरदारो से कोई लेना देना नही है। रावल शुद्ध क्षत्रिय राजपूतों का एक समूह है जिसने अपना अस्तित्व बचाए रखने हेतु पूर्व में अलग से एक समूह बना लिया और उस समूह में अलग अलग राजपूतों की 12- 13 खापें है जैसे पंवार,भाटी,राठौड़,सोलंकी,मेवाड की रावल शाखा के चंद्रावत,प्रतिहार इन्ही 6 राजवंशों की शाखा के लोग शामिल है। सभी के अलग अलग राव जी है और गोत्र,प्रवर आदि का उल्लेख उनकी बाहियो में उल्लेखित है। श्रीमान आप शोध कर के ही कोई जानकारी साझा करे हालांकि मिलावटी इतिहास में आपकी शोध भी मिलावटी हो सकती है परन्तु मेरे द्वारा बताई गई बात हमारे राव जी की बहियो में उल्लेखित है साथ ही बड़े बड़ेरो द्वारा बताई गई है। रावल राजपूतों के सभी कुलो में सतियो का तप,जुंझारो की वीरता और भौमियो की ललकार यह सिद्ध करती है कि रावल राजपूत शुद्ध रूप से क्षत्रिय है। श्रीमान जो षड्यंत्र रावल सिरदारो को अपमानित करने हेतु रचा गया उसका समय के साथ खुलासा हो गया है अतः अब किसी प्रकार का भ्रम ना फैलाए।
@Nursingeducation731
8 ай бұрын
हुकुम आपका परिचय बहुत ही खूब परिभाषित किया🙏
@Bhagwansa-Patawat
4 ай бұрын
हा भाई आप जाति से विशुद्ध राजपूत हो परंतु आपके पूर्वज ने जिस काम को अपनी जीविका चलाने के लिय अपनाया था आप उस काम को नीचे दिखाने की बात नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी काम छोटा नही होता है। हा आज आप ये अपना काम ससम्मान छोड़ सकते हो परंतु आप उस काम (पेशे) को हीन भाव से क्यों बता जता रहे हों अंत में मेरा ये ही विचार है की आपके पास जो भी बहियां लेखाजोखा हैं चाहे वो असत्य ही क्यों हो उसे आप सम्मान से संबंधित जाति की किसी संस्था को सुपुर्द कर दो
@user-zt7fw6xl5q
4 ай бұрын
#जय महादेव सा #जय सारणेश्वर महादेव री सा #जय दाता परशुराम सा #ये रावल ब्राह्मण शास्त्र और शस्त्र दोनों का ज्ञान रखते हैं इनके पास सिरोही, जालोर और पाली में 18 गाँव की #जागीरी है और ये वहां के ठाकुर और जागीरदार है।। #आज से 500 वर्ष पूर्व तक रावल शब्द सिर्फ राजपूत और रावल ब्राह्मण द्वारा ही उपयोग में लाया जाता था। #रावल ब्राह्मण से तात्पर्य है - राज्यकुल राजा के गुरु को रावल कहते है। आपने देखा होगा और सुना भी होगा ' रावल' शब्द के बारे में, ये रावल उपनाम भारत की विभिन्न जातियाँ अपने नाम के पीछे लगाती है। जैसे नेपाल में गोरखा भीं रावल लगाते है, जैसलमेर के भाटी राजपूत भी रावल लगाते है, कोटा (राजस्थान) के मीणा भी रावल लगाते है, मेवाड़ में गोस्वामी भी रावल लगाते है, भरतपुर (राजस्थान) के नागर ब्राह्मण भी रावल लगाते है, गुजरात में तपोधन ब्राह्मण भी रावल लगाते है, और गुजरात मे चमार वो भी रावल लगाते है, #पर वो सब SC/ST में आते है या फिर OBC में। आइए देखिए इतिहास रावल ब्राह्मणों का जो सिरोही, जालोर और पाली में रहते है रावल ब्राह्मण उपनाम रावल, राजस्थान के सिरोही, पाली, जालोर जिलों का निवासी ब्राह्मण समुदाय है। 'रावल' एक पदवी दी थी जो ब्राह्मणों में से श्रेष्ठ विद्याधारक पुरोहित या राजगुरु को दी जाती थी। यह पदवी राजस्थान के सिरोही जिले में बसने वाले ब्राह्मणों को दी जाती थी। बाद में वे अपने उपनाम जाति 'रावल' लगाने लगे तथा कालान्तर में 'रावल ब्राह्मण' कहलाये।सिरोही ,पाली तथा जालोर में बसे रावल ब्राह्मण समाज एक स्वतंत्र समूह है जाती नहीं है। भारत की ब्राह्मण जातियो में रावल ब्राह्मण नामक समूह का ना तो जाती भास्कर में उल्लेख मिलता है तथा ना ही ब्राह्मणों उत्तपति मार्तण्ड में ऐसा कही भी उल्लेख नहीं है, परन्तु गहराइयों से देखने पर यह पता चलता है कि श्री स्थल के पश्चात् सारणेश्वरजी की जब स्थापना हुई तब सिद्धपुर से पधारे ब्राह्मणों को गोल नामक गाँव जो वर्तमान में सिरोही के निकट है वहां की #जागीरी दी गई जो कालांतर में गोरवाल ब्राह्मण कहलाये तथा उसी समूह में से एक वर्ग जो गौतम गोत्र का था रावल ब्राह्मण समूह का केंद्र बिंदु बना जिसे आम रूप से वडकिया कहा जाता है। उसी प्रकार सिद्धपूर से पधारे ब्राह्मणों के एक वर्ग को जिसे हरिशचन्द्र के पुत्र रोहित के नाम से विख्यात रोहितपुर (रोहिडा) में बसाया गया जो कालांतर में रोडवाल ब्राह्मण कहलाये उनमे से एक समूह का रावल ब्राह्मण समुदाय में विलीनीकरण हो गया जिन्हें कृष्णात्रैय के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार पाली क्षेत्र से पधारे कश्यप गोत्रीय बंधुओ का रावल समुदाय में विलीनीकरण हुआ जो कालांतर में लुरकिया कहलाये शनैः शनैः कपिल टिलुआ एवम अन्य अगिनत ब्राह्मण गोत्रो को इस समुदाय में विलीनीकरण हुआ जो कालांतर में रावल ब्राह्मण नाम से एक पृथक पहचान बनी। : रावल ब्राह्मण नामक जाती का उल्लेख कही भी नहीं मिलता है परन्तु रावल शब्द अटक का घोतक है रावल से तात्पर्य है राज्यकुल राजा के गुरु को रावल कहते है। इसी प्रकार सिरोही राजघराने से रावल पदवी के रूप में प्राप्त हुआ था एवम साथ में कही #जागीरी के रूप में कइ गाँव भी प्राप्त हुए अतः यह बात यहाँ एकदम सटीक बैठती है कि रावल शब्द पदवी का घोतक रहने के कारण एक वर्ग ने इन्हें पृथक रूप दे दिया जो कालांतर में रावल ब्राह्मण नाम से पृथक पहचान बन गई। परन्तु इन सब में वडकिया (गौतम) समूह रावल ब्राह्मण समूह का प्रथम नागरिक बना यह बात यहाँ झलकती है जो भगवान सारणेश्वरजी के पुरोहितजी के रूप में यहां आए। अवंटक जिसे हम अटक कहते है शब्द से तात्पर्य था कर्म। सभी ब्राह्मण थे लेकिन ब्राह्मणों में कर्मो का विभाजन था दो वेद जानने वाले को द्विवेदी, तिन वेदों को जानने वाले को त्रिवेदी एसे उच्चारण की अटक के रूप में पहचान थी। ये रावल ब्राह्मण कोई जाति नहीं परंतु ऐक समुदाय है जो विभिन्न ब्राह्मण जातियों से बना है, #जैसे_राजपुरोहित (राजगुरू,सेवड़, उदेश, अबोटी, लुरकिया (पालीवाल)) पुष्करणा,श्री गौड़, गुज्जर गौड़, औदिश्य, श्री माली इत्यादि) आज से 500 वर्ष पूर्व तक रावल शब्द सिर्फ राजपूत और रावल ब्राह्मण द्वारा ही उपयोग में लाया जाता था। ये रावल ब्राह्मण शास्त्र और शस्त्र दोनों का ज्ञान रखते हैं इनके पास सिरोही, जालोर और पाली में 18 गाँव की #जागीर है और ये वहां के ठाकुर और जागीरदार है।। #जागीरदार_रावल_ब्राह्मण_धर्म_युगे_युगे 🚩🚩🚩 #श्री_जय_महादेव_रावल_महासेना 🚩🚩🚩
@user-xv5nl4jz2r
4 ай бұрын
JAI MATA JI KI HUKM 🙏🏻 rawal Rajputo Ki kuldevi श्री बाण माता जी he jinhe (श्री ब्रह्माणी माताजी, श्री बायण माताजी, श्री बाणेश्वरी माताजी) bhi khha Jata he in chizo ke ulhekh khhi jghh mil Jata he 🙏🏻
@narendrasinghrawal5134
2 ай бұрын
@bhagwansa-patawat..hkm aap bhi jante h ki rawal rajput h.. ha mana ki koi paristhithi rahi hogi us time ki jo rawalo ki sirf 1 gotra hi h jo ye pothi padne ka kaam kar rahi h.. baki aap pata kar sakte ho ki koi bhi rawal ye kaam nahi karta h.. aap mewad ke rawalo k bare m achi tarah jankari prapt kar sakte h. ye kaam sirf marwad m vishawat gotra vale kar rahe he hkm..or unhe bhi ni pata ki unke paas ye bahi kaha se aayi h.. purane time m ho sakta h kisi garibi ya apni ajivika chalane k liye ye kaam start kar diya ho sa..parantu hamari cast ye kaam nahi karti h hkm.. ham rawal rawal rajput h hkm hame kisi bhi tarah kalankit na kare.. dhnywad 🙏
@varmala7443
2 ай бұрын
पांचवीं शताब्दी में रावल लोग शासक थे उन्होंने अरब से बहुत से युद्ध लड़े और अरब शासको ने अपनी पुत्रीyo का विवाह रावल राज्यों सेकिया पाकिस्तान में रावलपिंडी रावले लोगों का बसायाहुआ है कालांतर में रावल इधर उधर बिखर गए bahut se jyotish हस्तरेखा विशेषज्ञ बन गए वैसे रावल लोग हरफनमौला होते हैं अको अको को डांस करवा देते हैं
@dharammakwana1606
4 ай бұрын
Ham ravaldev hai
@hinglajdanlalas1913
9 ай бұрын
बहुत ही बढ़िया विचार है सा।या तो वंदनीय रावळ देव हमारे पुरखों की धरोहर को निर्विघ्न संचालित रखें, या फिर इस अमूल्य धरोहर को सम्मान चारण साहित्य शोध संस्थान अजमेर को सुपुर्द कर दिरावें। वंशावली की बहियो को खुर्द-बुर्द किसी भी हालत में नहीं करें।
@PoliticalsciencewithDrCDcharan
9 ай бұрын
🙏🙏
@Ashoksingh-zq5lo
8 ай бұрын
Bahut hi achi baat btayi h hukam aapne
@KDDewalIFS
9 ай бұрын
wah.. Girdhar sa..: aapki is tarah ki jaankariya amulya hai, kash ye sab sarankashit rah paye
@ravaldevundvi1466
7 ай бұрын
Bhai nabar apo
@RamSingh-vt2lb
9 ай бұрын
Girvar Dan jikam aapke number bhejo Ram Singh Rawal Jaipur
बहुत शानदार जानकारी। हमारे रावलों के साथ सनातनी संबंध हैं। हमारे महान पूर्वजों की साझी धरोहर को संरक्षित रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। रावल देवों से आपके निवेदन को मेरा पुरजोर समर्थन एवं इस महान परंपरा को सादर वंदन।🙏🙏
@ambadanrawal4846
9 ай бұрын
जय माताजी की सा
@chandersinghchandersinghch2078
9 ай бұрын
जय हो रावल देव ता
@experiment_world462
9 ай бұрын
अच्छी जानकारी कविराज
@user-xv5nl4jz2r
4 ай бұрын
JAI EKLING NATH 🙏🏻 rawal पूर्ण रुप se rajput hi he rawal shuruwat me to keval ek padvi thii jisse khhhi rajputo ne apne nam ke aage lagaya he unme se ek सर्वप्रथम गुहिल राजवंश के शासक बप्पा रावल ने अपने नाम के आगे लगाया पदवी के रूप मे फिर ये आगे चलकर गुहिल राजवंश के राजा रणसिंह के दो पुत्र हुए उनसे एक का नाम क्षेमसिंह रावल था जिन्होने रावल शाखा की नीव राखी या अपने उपनम में लगाना शुरू कर दिया रावल शाखा में कई वीर योद्धा हुए उनमे आखिरी राजा रावल रतन सिंह थे जिन्होनें चित्तौड़ पर राज किया परंतु खिलजी में जब धोखा से रावलसा से चित्तौड़ छीन लिया उसके बाद रानी पद्मिनी ने जोहर कर लिया जिससे खिलजी जो चाहता था उसे वो नहीं मिला जिस कारण खिलजी ने रावल वंश का इतिहास मिटाने की खूब कोशिश की jisse Aaj rawal jaati ka ya , Maha rawal ratan Singh ka ulhekh bhot Kam milta he guhil rajvansh Ki kul Devi श्री बाण माता जी (श्री ब्रह्माणी माताजी, श्री बायण माताजी, श्री बाणेश्वरी माताजी) or rawal vansh Jo bhi guhil rajvansh me Aata he unki bhi kuldevi श्री बाण माता जी (श्री ब्रह्माणी माताजी, श्री बायण माताजी, श्री बाणेश्वरी माताजी) ko hi bataya ja rhha he
@girdhardanratnoodasori
4 ай бұрын
जी
@user-xv5nl4jz2r
4 ай бұрын
@@girdhardanratnoodasoriतो हुकम एक ही बात कहना चाहूंगा रावल जाती के कुछ लोग जो यह कार्य यह सोच कर, कर रहे हैं की यह तो हमारे पूर्वज भी करते थे तो उनसे बडा मूर्ख कोई नहीं है रावल राजपूत जितने ऊचे कुल मे हुआ करते थे आज के समय में उतना ही इसे नीचा दिखाया जा रहा है लेकिन कुछ एसे भी है इस समाज मे जो निरंतर प्रयास कर रहे हैं ताकी रावल राजपूतों को पुनः अपना इतिहास ज्ञात हो इतिहास मिटाया जा सकता है लेकिन छुपाया नही जा सकता जय श्री बाण माता जी रावल राजपूत कुलदेवी 🙏🏻 JAI EKLING JI KI 🚩🙏🏻
@ravindrasinghchaaran7755
9 ай бұрын
गिरधर सा का विशेष आभार, आपने दुर्लभ जानकारी उपलब्ध कराकर, नवीन पीढी को चारण गौरव का अनुभव कराया । रावळदेवों के पास उपलब्ध अनमोल धरोहर के संरक्षण के प्रति जाग्रत किया । जय श्री करणी हुकुम ।
@RaghuveerSingh-hr5ru
9 ай бұрын
देख वक्त मन मोह मुर्छायो,कोई ना दिठो संस्कार बचावण मरुधरा। पण धिन थाने दे मोढो सामो ऊभा, राखण सनातन चारण गिरधरा।।
@himmatsingh1588
9 ай бұрын
Vah girdhar sa sachi jaankari dene ke lia thanks , ap jese sabhi charan sirdar rawal devo ko vansavali ko saran karne se rokave himmat charan
@shrenidan6588
9 ай бұрын
Ati sundar sa
@karancharan2573
9 ай бұрын
रमत वाले रावल हमारे यहाँ अभी तक आते है
@vishawatstatus4858
6 ай бұрын
Kaha ke rawal ate he
@narendrasinghrawal5134
2 ай бұрын
gujrat k ate h un rawalo ka sambandh..rajsthan k rawal se nahi h..
@karancharan2573
2 ай бұрын
Gujrat se aate he rajkot
@babusinghrajpurohit7463
9 ай бұрын
जय श्री सा। जानकारी सारूं आपरौ घणौं घणौं आभार हुकम। सिर ढकणों किकर?
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