1- Pandit Shrikrishna Narayan Ratanjankar, 2- Pandit Gajanan Joshi, 3- Pandit Ramashreya Jha, 4- Pandit Omkarnath Thakur, 5 - Pandit Dattatreya Vishnu Paluskar, 6 - Professor B. R. Deodhar,
7- Pandit Kumar Gandharva , 8 - Professor B. R. Deodhar,
राग बिलावल में कोमल निषाद के प्रयोग से राग अल्हैया बिलावल का निर्माण हुआ है। इसके अवरोह में निषाद कोमल का प्रयोग अल्प तथा वक्रता से किया जाता है जैसे ध नि१ ध प। यदि सीधे अवरोह लेना हो तो शुद्ध निषाद का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा। इसी तरह अवरोह में गंधार भी वक्रता से लेते हैं जैसे - ध नि१ ध प ; ध ग प म ग रे सा। इस राग का वादी स्वर धैवत है परन्तु धैवत पर न्यास नहीं किया जाता। इसके न्यास स्वर पंचम और गंधार हैं। इस राग में धैवत-गंधार संगती महत्वपूर्ण है और इसे मींड में लिया जाता है।
यह उत्तरांग प्रधान राग है, इसका चलन और विस्तार तार सप्तक में अधिकता से किया जाता है। इस राग की प्रकृति में करुण रस का आभास होता है। इस राग में ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग अल्हैया बिलावल का रूप दर्शाती हैं -
सा रे ग ; ग म रे ग प ; प म ग ; रे ग रे सा ; ग म रे ग प ; ध ग म ग ; ग प ध म ग ; ग प ध नि सा' ; सा' रे' सा' ; सा' नि ध प ; ध नि सा' ; सा' नि ध प ; ध नि१ ध प ; ध ग म ग रे सा ;
Негізгі бет Raag Alhaya Bilawal Charcha - राग बिलावल राग अल्हैया बिलावल पर गुणीजनो के अपने अपने विचार
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