सिद्धांत सार :
विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु एवं काशी विद्वत परिषत् द्वारा जगद्गुरूत्तम की उपाधि से विभूषित श्री कृपालु जी महाराज को 'सनातनवैदिकधर्मप्रतिष्ठापन सत्सम्प्रदाय परमाचार्य' की उपाधि से भी अलंकृत किया गया है। इस दृष्टि से श्री महाराज जी के श्रीमुख से निकले दिव्य श्रीवचन ही वास्तविक सनातन वैदिक धर्म के उद्घोषक हैं। श्री महाराज जी ने हम कलियुगी जीवों के कल्याणार्थ समस्त वेद शास्त्रों का सार अपने दिव्य प्रवचनों में अत्यंत सरल एवं रोचक शैली में प्रस्तुत किया है।
यहाँ, एक विशेष प्रवचन श्रृंखला 'अद्वय ज्ञान तत्त्व' (मार्च, 1990) में प्रकटित श्री महाराज जी के अलौकिक ज्ञान के अति विशिष्ट अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
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