परमात्मा रचित इस रचना में जीवन प्रवाह निरंतर हो रहा है पर इस आवागमन चक्र से जीवों का निबेरा नहीं हो पाता क्योंकि माया ने आत्मा में परमात्मा से जोड़ने वाली शक्ति को क्षीण कर रखा है। फिर निबेरा कैसे हो ?
भजन सिमरन के भंडारी हरिराया सतगुरु असीम करुणा व सामर्थता के धनी हैं जब वे मेहर कर जीव को अपनी उद्धारी कला द्वारा पावन शरण बक्शते हैं और शिष्य भी भगत भाव धार, सांची सतगुरु भगति नित कमाता है तो सहज ही आत्मा अपने परमात्मा, हरे माधव प्रभु में एकनिष्ठ हो पाती है।
अलख रूप, सच्चिदानंद स्वामी शहंशाह सतगुरु बाबा माधवशाह साहिब जी के अनंत उपकारों का जीवजगत सदा ही ऋणी रहेगा। उनकी महिमा अपरम्पार अनंतो अनंत है
.
.
.
All rights are reserved. No part of this video including content may be reproduced or transmitted in any form or by any other means, including recording or other electronic or mechanical methods.
HARE MADHAV PARMARTH SATSANG SAMITI, MADHAV NAGAR, KATNI (M.P.) INDIA
Website - www.haremadhav...
WhatsApp: +91 8237131313
Instagram: / hare_madhav
Facebook: / haremadhav.org
Twitter : / hare_madhav
Spotify :
open.spotify.c...
Pinterest :
/ hare_madhav
#haremadhavbhajan #prakashotsav #sindhibhajan
Негізгі бет रहीं याद जुग-जुग माधवशाह साईं | Prakashotsav | Sindhi Bhajan | Hare Madhav Bhajan | Hare Madhav
Пікірлер: 26