बात ग़ालिबन 1976 की है. राही मासूम रज़ा लखनऊ आए हुए थे. उन्हें 'मिली' फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का पुरस्कार मिला था. वो किसी होटल में न ठहर कर अपने भांजे नदीम हसनैन के घर पर रुके हुए थे. इमर्जेंसी के दौरान कुछ पत्रकारों और लेखकों को छोड़कर सारे लोग उस समय की सरकार की जी हज़ूरी में लगे हुए थे. 'फ़िल्म राइटर्स असोसिएशन' ने भी इंदिरा गांधी और इमर्जेंसी के समर्थन में एक प्रस्ताव पास करवाने की कोशिश की. राही मासूम रज़ा अकेले लेखक थे जिन्होंने इसका विरोध किया. राही मासूम रज़ा के जीवन से जुड़े किस्से बता रहे हैं रेहान फ़ज़ल.
वीडियो: मनीष जालुई
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Негізгі бет Rahi Masoom Raza जब बोले- मैं गंगा का बेटा हूं, Mahabharat मैं ही लिखूंगा (BBC Hindi)
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