रमैनी 47। जरासिन्धु शिशुपाल सँघारा। बीजक टीका। Sadguru Shri Abhilash Saheb Pravachan। @sadgranth.
बीजक व्याख्या- रमैनी 47
जरासिन्धु शिशुपाल सँघारा। सहस्त्रार्जुन छल सो मारा ।
बड़ छल रावण सो गौ बीती। लंका रहल कंचन की भीती ।
दुर्योधन अभिमाने गयऊ। पाण्डव केर मर्म नहिं पयऊ ।
माया के डिम्भ गयल सब राजा । उत्तम मध्यम बाजन बाजा ।
छौ चकवे बिति धरणि समाना। एकौ जीव प्रतीत न आना ।
कहाँ लों कहौं अचेतहि गयऊ । चेत अचेत झगरा एक भयउ
साखी -
ई माया जग मोहिनी, मोहिन सब जग झारि।
हरिचन्द सत्त के कारणे, घर घर सोग बिकाय ॥ ४७ ॥
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