आदिगुरु शंकराचार्य जी का अद्वैत दर्शन से लाभान्वित होना चाहिए। आत्मा चेतन अक्रियाशील अविकारी असंग अकर्ता है। विश्वास मन को होना चाहिए। परिवर्तनशील संसार का सुख परिवर्तनशील है क्षणिक है जबकि आत्मज्ञान होते हीं अनंत अपार सुख महसूस होता है। जन्म जन्म का शरीर मन बुद्धि चित्त अहंकार के बंधन के अपार दुःखों से मुक्ति मिलती है। आत्मज्ञान का यह पहला मोक्ष है। पिछले सभी कर्म बंधन से मुक्ति मिलने के बाद जन्म मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
@vilashchaudhri943
7 ай бұрын
जय सियाराम 🌺🙏🙏
@nabinthakur3611
7 ай бұрын
❤❤❤❤🙏🙏🙏
@user-gh7mf5ky1l
7 ай бұрын
Agar ham brahm hai to apni pachaan kasay bhule gaye ham maya may kasay phase saktay hai agar ham brahm hai to ?
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