आरोह अवरोह
सा ग म ध नि सा' - सा' नि ध म ग सा;
वादी संवादी स्वर
मध्यम/षड्ज
राग जाति: औडव - औडव
प्राचीन राग भिन्न-षड्ज को वर्तमान में कौशिक-ध्वनि के नाम से जाना जाता है। इसका वादी स्वर मध्यम होते हुए भी इसके बाकी स्वर भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जिन पर ठहराव किया जा सकता है। इस कारण इस राग में विस्तार की पूर्ण स्वतंत्रता है और इसे तीनो सप्तकों में सहज रूप से गाया जा सकता है।
गमक और मींड के प्रयोग से राग का रूप निखर आता है। अवरोह में सा' नि ध ऐसा सीधा लेने की अपेक्षा मींड में सा' ध लेना ज्यादा मधुर सुनाई देता है। इस राग की प्रकृति शांत व गंभीर है। यह स्वर संगतियाँ राग कौशिक-ध्वनि का रूप दर्शाती हैं - सा ,ध ,नि सा ग म ; ग म ध ; ग म ; ग सा ; ग म नि ध म ; ध नि सा' ; सा' ग' सा' ; ग' सा' नि ध ; ध नि सा' ध म ; म ध ग म ; ग सा ;
Негізгі бет Rare Raga series 1 | Songs based on Raga Bhinna Shadja/Koushikdhwani/Hindoli | राग भिन्न षड्ज
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