उर्दू ज़बान को घर-घर तक ले जाने में एक संस्था का अहम रोल रहा है, जिसे रेख़्ता के नाम से जाना जाता है. इस संस्था को बनाने और बढ़ाने वाले शख़्स संजीव सर्राफ़ से बातचीत की बीबीसी संवाददाता मिर्ज़ा बेग़ ने. कैमरा संभाला शिवशंकर चटर्जी और तपस मलिक ने.
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Негізгі бет Rekhta और Jashn-e-Rekhta को इतना बड़ा नाम बनाने वाले Sanjeev Sarraf की पूरी कहानी (BBC Hindi)
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