| Runicha Dham | श्रीकृष्ण के अवतार थे रूणीचा धाम के बाबा रामदेवरा, आज भी दिखाते हैं अनेक चमत्कार! @Gyanvikvlogs
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श्री रामदेव जी का जन्म संवत् 1409 में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ । संवत् 1426 में अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ श्री रामदेव जी का विवाह हुआ । संवत् 1425 में रामदेव जी महाराज ने पोकरण से 12 कि ० मी ० उत्तर दिशा में एक गांव की स्थापना की जिसका नाम रूणिचा रखा । भगवान रामदेव जी अतिथियों की सेवा में ही अपना धर्म समझते थे । वर्तमान में रूणिचा को रामदेवरा के नाम से पुकारा जाता है ।
रामदेवरा में स्थित रामदेवजी के वर्तमान मंदिर का निर्माण सन् 1939 में बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह जी ने करवाया था । देश में ऐसे अनूठे मंदिर कम ही हैं जो हिन्दू मुसलमान दोनों की आस्था के केन्द्र बिन्दु हैं । बाबा रामदेव का मंदिर इस दृष्टि से भी अनुपम है कि वहां बाबा रामदेव की मूर्ति भी है और मजार भी । बाबा के पवित्र राम सरोवर में स्नान से अनेक चर्मरोगों से मुक्ति मिलती है । जैसलमेर जिले में स्थित बाबारामदेव का ( रुणीचा ) नामक स्थान जन - जन की आस्था का केन्द्र स्थल है । यह देश - विदेश से यात्री मन्नत माँगने एवं पुण्य लाभ कमाने आते हैं । पोकरण परमाणु परीक्षण स्थल से मात्र 13 कि.मी. की दुरी पर स्थित यह पवित्र स्थल हिन्दू , मुस्लिम सभी के लिए श्रद्धा केन्द्र है । इसके आलावा सभी हिन्दू - मुस्लिम लोग यहाँ आकर पुण्य कमाते हैं । हिन्दुओं में यह बाबा रामदेव के नाम से पूजे जाते हैं तो मुसलमानों में बाबा रामशाह पीर के नाम से पूजे जाते हैं ।
वि.सं. संवत् 1442 को रामदेव जी ने जीवित समाधी ली । बाबा ने जिस स्थान पर समाधी ली , उस स्थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया इस मंदिर में बाबा की समाधी के अलावा उनके परिवार वालो की समाधियाँ भी स्थित है । मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहिन डाली बाई की समाधी , डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं ।
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