आर्य समाज वेद पर आधारित हैं इसलिए अनंत काल से है और रहेगा🎉❤
@user-xh1ff7df5s
14 күн бұрын
@@ashwanikumarmittal5512 yes
@ashwanikumarmittal5512
14 күн бұрын
@@user-xh1ff7df5s dhanyavaad
@rahulyaduwanshi6561
11 күн бұрын
ओउम आचार्य जी यह हमारे प्रारब्ध है कि हम महर्षि दयानंद जी के अनुयाई है
@vijaykumar-lt5ek
8 күн бұрын
विनय आर्य जी को सादर नमस्ते ।🙏
@agnihotriyudhishthirarya6550
10 күн бұрын
आर्य समाज वेदों का अनुयाई है और सभी कार्य प्रमाण से कार्य करता है
@duniyawala
24 күн бұрын
आर्य समाज तार्किक बनाने की एक बढ़िया शुरुआतती संस्था है
@HaridevSharma-rc1jv
8 күн бұрын
सादर नमस्ते आचार्य जी। अति उत्तम जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।। आर्य पुत्र।।
@ManojKumar-gs8hc
27 күн бұрын
सादर चरणस्पर्श पूज्यपाद गुरुवर 🙏🙏
@vivekagg1984
12 күн бұрын
नमस्ते आचार्य जी
@manojaryartist1313
21 күн бұрын
नमस्ते आचार्य जी 🙏
@raniebiharie950
13 күн бұрын
100% सत्य वचन
@user-gb5xi3qg6f
20 күн бұрын
नमस्ते आचार्य जी आर्य समाज संसार का श्रेष्ठ धर्म है
@user-ie5xh9lz3d
10 күн бұрын
धन्यवाद
@user-xh1ff7df5s
17 күн бұрын
Namaste ❤❤
@somadattashastri6771
10 күн бұрын
नमस्ते 🙏
@SatyapalsinghrathourRath-mg2gh
13 күн бұрын
अति सुंदर
@lunarayinstrumental
11 күн бұрын
🚩🚩🚩🚩🚩🚩💥
@sandeshsharma2088
12 күн бұрын
आर्य समाज मुरादाबाद से जुड़ने के लिए सम्पर्क सूत्र बताऐ ।
@munnalal-ui6lb
23 күн бұрын
क्या है आर्य समाज? यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है लेकिन यह लोग परमात्मा मानते है ये है आर्य समाज।
@yoogeebly
14 күн бұрын
सब माया है तो सत्य क्या है आप ही बता दो
@munnalal-ui6lb
14 күн бұрын
@@yoogeebly अरे वह कमाल कर दिया। परमात्मासतहै यह संसार असतहै परमात्माचेतन है यह संसार जड़ है परमात्मा आनंदस्वरूप है यह संसार दुःख रुप है। सच्चिदानंद सत्य है संसार असद है। वेद कह रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद ज्ञान है। संसार से अलग ही पूर्णब्रह्म सच्चिदानंद है। वह वेदों से नहीं मिलेगा। क्योंकि वेदों में केवल संसार का हीज्ञान है। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। भागवत बिना कोई पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद को जान नहीं सकता। भागवत में पूर्ण वर्ग का नाम श्री कृष्णा बताया है लेकिन श्री कृष्णा भी तीन है। ब्रह्मांड भी तीन है क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर: वेद वाक्य।। ला इलाहा इल्लल्लाह।। कुरान।। पुरुष भी तीन है क्षर पुरुष अक्षर पुरुष और उत्तम पुरुष। हव्वा नूर और नूरतजलला। सृष्टि भी तीन है ब्रह्म सृष्टि ईश्वर सृष्टि जीव सृष्टि। हवाई खलक फरिश्ते और मोमिन। कृष्णाकृष्णा सब कोई कहे भेद न जाने कोए एक कृष्णा बैकुंठ का दूजा हैगोलोक तीजो अखंड धाम को जहां जाएं सब शौक़।।
@yoogeebly
13 күн бұрын
@@munnalal-ui6lb आपने जो कहा वह तो समझ में आ गया। पर मेरा भ्रम यह है कि ईश्वर को निराकार कहते हैं और निराकार ईश्वर का गुण है आप कह रहे हो निराकार माया है सत्य तो ईश्वर और उसका एक गुण आनन्द है और भी बहुत सारे गुण हैं लेकिन ईश्वर को जानने के लिए अगर ईश्वर में गुण ही नहीं हों तो उसे जान भी तो नहीं सकते
@munnalal-ui6lb
13 күн бұрын
@@yoogeebly मैं नहीं कह रहा ईश्वर निराकार नहीं है वेद कह रहे हैं कि निराकार और सरकार माया है। परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है पुणे निराकार कहना अपराध है। जो सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है उसे निराकार कैसे कह सकते हैं? साकार का मतलब है हाड मांस हड्डी का पुतला। लेकिन परमात्मा वह भी नहीं है। दिव्य स्वरूप नूरी मुखड़ा हाड मांस का नहीं। लेकिन उसे स्वरूप को जानने के लिए आर्मी की तरह टारगेट लेना होगा। तभी तो दिव्य स्वरुप मिलेगा। वह जुगल किशोर है सच्चिदानंद। सत अंग अक्षर ब्रह्म है चिद और आनंद जुगल किशोर किशोरी है। सबसे सुंदर अवस्था किशोर स्वरूप होती है। इस प्रकार समझना होगा।
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