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प्रेरणा संस्था कुरुक्षेत्र के तत्वावधान में बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय कार्य करने वाले जाबांजो के सम्मान में लिखी कविता। 17-7-2023
प्रेरणा संस्थान हर दुखिया के दुख का साथी है
सेवा संस्कार संस्कृति का सच्चा ये हिमाती है
हरिकेश पपोसा और उनकी टीम को बारम्बार नमन है
जिनके हौसलों के आगे होता हर चिंता का दमन है
साँसों को साँसों से जोड़ते और हाथों को हाथों से
दिन भर में तो रहते तत्पर और सीखते रातों से
इनके सेवा भाव से ही पीड़ा कम हो जाती है
दीदार नगर में घर घर जाकर सबके दुख को बांटा है
हमनें दुख के महा सिंधु से सुख का मोती छांटा है
पानी से बेहाल ये जीवन अस्त व्यस्त हुआ पड़ा था
सारे जब पीछे हट गए तब प्रेरणा ही संग खड़ा था
अब तो जनता भी पल पल गीत इन्हीं के गाती है
अन्नपूर्णा सुमन रेणु रुक्मेश ने मिल सहयोग दिया है
अनिल सुनील सौरभ सुखविंदर ने तन मन को झोंक दिया है
ब्रह्मकुमारीज ने सेवा कर सेवा का जो मान किया
रामलाल जी ने वृद्धों की ऊर्जा का गुणगान किया
विनोद सारथी ने ही मुश्किल राहों को आसान किया है
बेटी भी अब कम तो नही है राज श्रुति ने पैगाम किया है
पिंकी के साहस आगे मुश्किल सब टल जाती है
बारिश भी क्या बारिश थी वो आफत बनकर टूटी थी
खाना पीना बंद हुआ था आस भी एकदम छूटी थी
पाई पाई जोड़ के जिसने घर को स्वर्ग बनाया था
उस गरीब की किस्मत भी तो घर के जैसे फूटी थी
वक़्त पड़े पर अपना कोई ,पोता ना कोई नाती है
ये भारत है देश हमारा और हम इसकी परछाई है
मात पिता ने बचपन से ये बात हमे बतलायी है
इसके लिए ही जीना और इसके लिए मर जाना है
वादा जो किया है धरा से हर हालत में निभाना है
सेवा का ना धर्म कोई होती ना कोई जाति है
Негізгі бет सेवा, संस्कार, संस्कृति= प्रेरणा संस्था। वीरेंद्र राठौर
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