Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन
संकल्प-पूर्ति के प्रलोभन में प्राणी कभी-कभी वह कर बैठता है जो उसे नहीं करना चाहिए। यदि जीवन में से संकल्पपूर्ति का प्रलोभन निकल जाए, तो फिर अकर्त्तव्य का जन्म ही न हो। जो कुछ बुराई जीवन में आती है, वह तभी आती है, जब हम अपने संकल्प को पूरा करने में लग जाते हैं और दूसरे के संकल्प पर ध्यान नहीं देते। यद्यपि संकल्प-पूर्ति में जो महत्त्व है वह तभी है, जब जिनके द्वारा संकल्प की पूर्ति हो वह संकल्प उनका संकल्प हो जाए। तब संकल्प-पूर्ति में जो रस आता है वह रस और किसी प्रकार से नहीं आता। अगर आप बोलना चाहते हैं, तो किसी श्रोता का भी संकल्प होना चाहिए। अगर आप मिलना चाहते हैं, तो किसी मिलने वाले का भी संकल्प होना चाहिए। अगर आप सुनना चाहते हैं, तो किसी वक्ता का भी संकल्प होना चाहिए।
Негізгі бет संकल्प निवृतिसे जो शान्ति,शक्ति,स्वाधीनता मिलती है। 33(ब) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj
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