भीलवाड़ा (ओम कसारा)। ‘’ नानी बाई रो मायरो’’ कथानक अपने घर-घर की कहानी है इसलिए इसे सुनते वक्त भक्तजनों को लगता है कि यह उनके साथ ही घटित कोई घटनाक्रम है। यही वजह है कि श्रौता ‘’ नानी बाई रो मायरो’’ को बड़े ही तल्लीन होकर आनन्द के माहौल में सुनते हैं।‘’ यह बात प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी ने भीलवाड़ा हलचल के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘रूबरू’ के दौरान कही।
उन्होंनें कहा कि यह बात सही है कि कथा पाण्डाल में बैठा श्रौता तो हमें धार्मिक प्रतीत होता है लेकिन वहां से उठते ही वह पुन: संसार सागर में रम जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कथा का सिर्फ श्रवण मात्र से ही मनुष्य में भक्ति भाव का संचार नहीं होता बल्कि श्रवण के साथ-साथ ईश्वर का चिन्तन व मनन करना भी आवश्यक है और वो भी निरन्तर, तभी कहीं जाकर हमारे मानस में भक्ति भाव स्थाई रूप से निवास कर सकता है।
एक प्रश्न के उत्तर में जया किशोरी ने कहा कि कथा वाचन के दौरान धार्मिक व सामाजिक उपदेश के साथ-साथ राजनैतिक संदेश देने में भी कोई बुराई नहीं है बशर्ते कि कथा वाचक को इसकी पूरी समझ व जानकारी हो। एक सवाल के जवाब में नानी बाई रो मायरो एवं भागवत कथा का वाचन करने वाली जया किशोरी ने कहा कि अच्छे व बड़े धार्मिक आयोजन करने में हालांकि लाखों रूपए का खर्च आता है लेकिन यह कहना सही नहीं है कि यह सिर्फ पूंजीपतियों के बूते की ही बात हैं। आज कई संस्थाऐं भी नियमित रूप से ऐसे आयोजन करवाती है जिससे आम आदमी को भी हर प्रकार का खूब लाभ होता हैं।
Негізгі бет “ Safar - Jaya Se Jaya Kishori Ji Tak Ka ”
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