Written and Composed by Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
Prem Ras Madira - Biraha Madhuri
सखी ! सुनु, समय होत बलवान ।
एक दिना हरि हहिं मनावत, हौं बैठति करि मान ।
आज मनावत प्रारण जात पै, कान्ह करत नहिं कान ।
एक दिना हरिमोहिबिनु पल छिनु,रहि न सकतथल आन।
आजु विकल हमपल पल तलफत,तजत न कुब्जा-ध्यान।
एक दिना हरि हते खिलौना, सुनति छाछ दै तान ।
आजु 'कृपालु भये हरि दूभर, गूलर फूल समान ॥
भावार्थ
एक विरहिणी गोपी अपनी सखी से कहती है कि अरी सखी ! समय बड़ा बलवान होता है । एक दिन वह था कि जब प्रियतम श्यामसुन्दर हमें मनाया करते थे, एवं हम बार-बार मान किया करती थीं, किन्तु आज मनाते मनाते प्राण निकले जा रहे हैं, फिर भी श्यामसुन्दर हमारी पुकार नहीं सुनते । हे सखी। एक दिन वह था जब श्यामसुन्दर हमारे बिना एक क्षण भी दूसरी जगह नहीं रह सकते थे। किन्तु आज हम अत्यन्त व्याकुल हो कर पल पल तड़प रही हैं, फिर भी श्यामसुन्दर का कुब्जा में लगा हुआ मन नहीं छूट रहा है । अरी सखी ! एक दिन वह था जब श्यामसुन्दर हमारे खिलौना बने हुए थे, एवं हम जरा सी छाछ देकर मुरली की तान सुना करती थीं। किन्तु 'कृपालु' कहते हैं कि आज वे ही श्यामसुंदर हमारे लिए गूलर के फूल के समान दुर्लभ हो गये हैं ।
Негізгі бет Sakhi Sunu ! Samay Hota Balvaan Re | Kripaluji Maharaj Bhajan | ft. Hadi Didi
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