सदगुरु श्री गरीबदास जी की अमृतवाणी (कबीर साहेब के शिष्य) दादू ध्यान उलंघिया, तीन दिवस तीन रात । आगे से आगे मिले, शब्द सनेही साथ ।। दादू में सिर पर सदा, अदली असल कबीर । टक्कर मारी जद मिले, फिर सांभर कै तीर ।। गरीब, दादू कूं सतगुरु मिले, दई पान की पीक । बूढ़ा बाबा जिस कहो, यह दादू की नहीं सीख ।। गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया । जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी माहि कबीर हुआ ।।
@Rohitkothari704
3 ай бұрын
• *श्री रज्जब जी की वाणी* (दादू जी के शिष्य) गुरु दादू अरु कबीर की, काया भई कपूर । रज्जब रीझ्या देखि कर, सर्गुण निर्गुण नूर ।। करनी कर सरभर नहीं, कथा कबीर कहाइ । रज्जब मानै कौन विधि, बालदि उतरी आइ ।। सीखे शब्द कबीर के, दिल बांध्या कह नाहिं । मनसा वाचा करमणा, वह निगुरा मन माहिं ।।
@PrabhuDayal-xw3du
3 ай бұрын
Satsahebji
@premkishor555
2 ай бұрын
🙏 Sat sahib ji 🙏
@kaushalpaikra3690
3 ай бұрын
सत साहेब जी 🎉🎉🎉❤❤❤
@SandeepkumarSandeepkumar-up6ly
3 ай бұрын
हम ही अलख अलह है, कुतुब गोश ओर पीर। गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर।।
@ashokdass8126
2 ай бұрын
सत साहेब सत साहेब
@orrsunny467
3 ай бұрын
🙏🙏
@Rohitkothari704
3 ай бұрын
• संत श्री दादू जी की अमृतवाणी सांचा शब्द कबीर का, मीठा लागे मोहि । *दादू* सुणतां परम सुख, केता आनंद होइ ।। अधर चाल कबीर की, आसंधी नहिं जाय । *दादू* डाके मृग ज्यों, उलट पड़े भुइ आय ।। *दादू* रहणि कबीर की, कठिन विषम ये चाल । अधर एक सौं मिल रह्या, जहां ना झंपै काल ।।
Пікірлер: 10