Sant Kabir' Samadhi monument at #Maghar in UP: सामाजिक सद्भाव का अनोखा प्रतीक. यहां एक साथ बनी है संत कबीर की समाधि और मजार.
अपने दोहों से दुनिया को भक्ति का संदेश देने वाने महान कवि संत कबीर का जन्म बनारस के लहरतारा में 15वीं सदी में हुआ था। हथकरघे पर कपड़े बुनकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले कबीर दास ने धर्म के भेदभाव मिटाकर लोगों की भलाई में अपना पूरा जीवन लगा दिया। काशी में प्राण त्यागने पर स्वर्ग मिलता है और मगहर में प्राण त्यागने से नरक में जगह मिलती है। इस मिथक को तोड़ने के लिए कबीर दास अपने जीवन के आखिरी दिनों में मगहर में अपनी कुटिया बनाई। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्ती से गोरखपुर के रास्ते में सन्तकबीर नगर में मगहर नगर पंचायत है। जहां कबीर का निर्वाण स्थल स्थित है। संत कबीर ने भीषण अकाल के समय मगहर पहुंच कर उन्होंने एक जगह धूनी रमाई। वहां से चमत्कारी ढंग से एक जलस्रोत निकल आया, जिसने धीरे-धीरे एक तालाब का रूप ले लिया। तालाब से हट कर उन्होंने आश्रम की स्थापना की। यहीं पर जब उन्होंने अपना शरीर छोड़ने का समय निकट आने पर संत कबीर ने अपने शिष्यों को इसकी पूर्वसूचना दी। शिष्यों में हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। हिन्दू चाहते थे कि कबीर का शव जलाया जाए और मुसलामान उसे दफनाने के लिए कटिबध्द थे। पर सारे विवाद के आश्चर्यजनक समाधान में शव के स्थान पर उन्हें कुछ फूल मिले । आधे फूल बांटकर उस हिस्से से हिन्दुओं ने आधे ज़मीन पर गुरु की समाधि बना दी और मुसलमानों ने अपने हिस्से के बाकी आधे फूलों से मक़बरा तथा आश्रम को समाधि स्थल बना दिया गया। संत कबीर ताउम्र बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को आपसी प्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाते रहे। संत कबीर का समाधि स्थल आज किस हाल में है, आइए देखें #SantKabir #santkabirkedohe
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