अनेक बार दाम्पत्य जीवन अपनाने के बाद भी पति-पत्नी के रति संयोग से संतान उत्पत्ति नहीं होती है। इसके निम्न कारण होते हैं:-
1. पति के वीर्य में शुक्र का अभाव।
2. पति के वीर्य में शुक्र की दुर्बलता।
3. पत्नी के गर्भाशय की नली का बंद होना या गर्भाशय की विकृति।
4. गर्भाशय की दुर्बलता।
6. पति या पत्नी में रक्त की कमी।
7. पति में धातु-दुर्बलता ।
8. लिंग और योनि की विकृति जो विवाह पूर्व अनियमित यौनाचार या अप्राकृतिक यौनाचार से उत्पन्न होती है।
9. कामकला के ज्ञान का अभाव।
10. पति-पत्नी का मानसिक रूप से एक-दूसरे से क्षुब्ध रहना।
11. अमर्यादित खान-पान एवं जीवनचर्या ।
संतान प्राप्ति में देर हो रही हो, तो सर्वप्रथम स्त्री-पुरुष को मासिक एवं धातु दौर्बल्य की परीक्षा अवलोकन से करना चाहिये। कम मात्रा में या पतला वीर्यपात या अत्यधिक गाढ़ा वीर्यपात दोषपूर्ण है। इसकी आयुर्वेदिक या तांत्रिक चिकित्सा करवानी चाहिये। इसी प्रकार कम मासिक होना, समय पर न होना, अत्यधिक होना, लिकोरिया का स्राव होना भी दोषपूर्ण है।
इनमें से कुछ नहीं है, तो स्त्री के पति के वीर्यपात के समय एक-दो बूंद अपनी जंघा पर गिराने देना चाहिये। एक मिनट के अन्दर चलचली सरसराहट हो, तो वीर्य में शुक्र है अन्यथा नहीं ऐसा समझना चाहिये।
स्वस्थ दशा में पांच अड़हुल से देवी पूजा करके चढ़ायें। चढ़ाकर श्वेत सूती कपड़े पर उस अड़हुल को रगड़ें। कपड़ा नीला हो जायेगा। इस नीले भाग को काटकर बत्ती बनाकर स्त्री सोते समय योनि में रख लें। प्रातः निकाल कर देखें। यदि वह नीला है, तो स्त्री की योनि एवं गर्भाशय दोषरहित है और यदि वह लाल धब्बे से युक्त है, तो तुरन्त तांत्रिक चिकित्सा करवायें।
स्त्री-पुरुष में किसमें दोष है, यह जानने के लिए गेहूं के स्वस्थ दाने एक ही स्थान की दो क्यारी में बोयें और इस क्यारी में एक स्त्री, दूसरे में पुरुष अपना मूत्र त्याग करें या पात्र में त्याग कर इसमें डालें। जिसमें दोष होगा, उस क्यारी में पौधे नहीं आयेंगे, आयेंगे तो पीले मरे हुए से आयेंगे। स्त्री को यदि स्वप्न में भय उत्पन्न करने वाली चीजें दिखायी देती हैं, सोने के समय भय लगता हो, नींद उचट जाती हो, पेट में गोला उठता है-
तो ऊपरी प्रकोप या कोख बंधने का टोटका किया हुआ समझना चाहिये।
बाद में इससे वह शक्ति अन्दर चली जाती है और स्त्री पर विचित्र दौरे
पड़ने लगते हैं।
उपर्युक्त सभी स्थितियों में न स्वयं टोटका करना चाहिये और न ही नीम हकीम तांत्रिकों या वैद्यों से उपचार करवाना चाहिये। किसी योग्य जानकार तांत्रिक या वैद्य ही इसकी वास्तविक चिकित्सा कर सकता है। उपर्युक्त की एलोपैथिक चिकित्सा भी नहीं है, व्यर्थ में दवाओं का बुरा साइड एफैक्ट झेलना पड़ सकता है।
Негізгі бет संतान उत्पत्ति क्यों नहीं होती है।
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