यह गीत व्रतोत्सव,सत्संग,तीर्थयात्रा में तो गाया जाता है है साथ ही एकाकीपन के पलों में भी गुनगुना कर सुकून व शांति प्राप्त की जाती है।#मांगलिक #bhkti #सत्संग
Негізгі бет सरण सरण आव नींद,चाकी बैरन हो गई,एकांत व सत्संग दोनों पलों का गीत 23 October 2021
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