योगालय Day -15
सर्वांगासन मे जालंधरबंध कैसे करें? शरीर पर उसका प्रभाव ,कालवधि,आसन स्थिती लेना छोड़ना, विशेष सावधानी
अक्षय आसनो मे से जिस 8/10 आसनो को महत्व दिया गया है उनमें से एक आसन है सर्वांगासन योगविषयी पुराणत ग्रन्थों मैं भी इस आसन का प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया है !
सर्वांगासन शयन स्थिति में किया जाने वाला आसन है जिसने 3 अंको में लेना है और 3 अंको में छोड़ना है !
अवधि :इसके विपरीत करनी का अभ्यास अच्छे से हो जाये फिर आप सर्वांगासन का अभ्यास पहले 5/10 सेकंड तक टिकाये फिर 3 से 5 मिनिट तक टीका हो सकते हैं!
शरीर पर प्रभाव: इस आसन में जालंधर बंद होने के कारण विशेष रूप से थायरॉयड और पिट्यूटरी दोनों में अंतरग्रंथियो पर दबाव पड़ता है जिसकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है मनुष्य के शरीर का स्वास्थय इन ग्रन्थियों के कारण नियत्रित रहता है इसके अलावा स्त्री पुरुष के जनतंत्र के विकारो पर इस आसन के अभ्यास से लाभदायक असर होता है अगर किसी को मंदाग्री, बधकोष्टता,हरनिया है तो इसका अभ्यास करने से उन विकारों पर जल्दी ही राहत मिलती है
विशेष सावधानी : सिरदर्द, दिमागी रोग, और जिनको उच्च रक्तचाप है वो ये आसान नहीं करे।
आसन स्थिति कैसे लेनी है सी छोड़ना है उसके लिए विडियो देखे!
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