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जिस आंगन में नन्ही गौरैया की चहल कदमी होती थी आज वह आंगन सूना है. आधुनिक मकान, बढ़ता प्रदूषण, जीवन शैली में बदलाव के कारण गौरैया लुप्त हो रही है. कभी गौरैया का बसेरा इंसानों के घर में होता था. अब गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है. इस संकट में नन्ही गौरैया को अपने अंगने में बुलाने के लिए हम लोगों को मिलकर कई काम करने होंगे
दूरदर्शन के संजय कुमार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से गौरैया के संरक्षण को लेकर वे पहल कर रहे हैं. अपने घर की बालकनी में रोजाना गौरैया के लिए दाना-पानी देते आ रहे हैं. वे बताते हैं कि गौरैया नियमित रूप से आती है. उन्होंने कहा कि घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया मुश्किल से अब दिखाई देती है
Негізгі бет Save Sparrow: विलुप्त होती गौरैया प्रजाति को संरक्षित करने की सराहनीय पहल
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