इन महमद (श्रीजी) के दीन में, जो लावे इमान। छत्रसाल तिन ऊपर तन मन धन कुर्बान।। ब्रह्म वाणी।। परमहंस श्री श्री 108 श्री राम रतन दास जी महाराज श्री के तारतम भवन पर श्री जुगल किशोर कोजाप खुद रा है। लेकिन फिर भी कुछ महानुभाव राधे राधे नाम जपते हैं। श्री कृष्ण राधा गोलोक धाम में अखंड है। परमधाम में श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जी स्वर्ण जड़ित सिंहासन पर मूल मिलावा में विराजमान हैं। श्री महेश्वर तंत्र में इसका वर्णन है। जिसे श्री जी ने दक्षिण से मंगवाया था श्री लाल दास कृत बीतक में इसका प्रसंग है। परम धाम की ब्रह्म वाणी में जहां कुरान पक्ष आया है वहां साहेब नाम आया है। श्री राज कहो श्री कृष्ण जी कहो श्री जी साहिब जी कहो। कुछ भी अंतर नहीं है।
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