स्मरण भक्ति ही प्रमुख है भगवान के भक्ति में। अर्थात मन भगवान का अगर चिंतन ना कर रहा हो और हम भगवद् कार्य कर रहे हैं तो उस भगवद् कर्म का कोई भगवद् फल नहीं मिलता।
क्योंकि प्रत्येक कार्य का कर्ता मन होता है।
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Негізгі бет स्मरण भक्ति-P-1।प्रत्येक कर्म का कर्ता मन है।चंचल मन को भगवान में कैसे लगाएं?Bhagvad Pravachan
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