Subhadra Kumari Chauhan ki kavita - Vyakul Chah | सुभद्राकुमारी चौहान की कविता - व्याकुल चाह
सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका सुभद्राकुमारी चौहान राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। उनका जन्म नागपंचमी के दिन (16 अगस्त 1904 ) को इलाहाबाद के निकट निहालपुर गांव के जमींदार परिवार में हुआ था। वो बचपन से ही कविताएँ रचने लगी थीं। 1919 में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ उनका विवाह हुआ उसके बाद वो जबलपुर आ गई थीं। रचनाकार होने के साथ-साथ वो एक स्वाधीनता सेनानी भी थीं। 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वो प्रथम महिला थीं, और दो बार जेल भी गई थीं। राष्ट्र प्रेम के इतर भी उनकी कविताओं में प्रेम के दर्शन होते हैं, जिनमें सांसारिक प्रेम और ईश्वरीय प्रेम दोनों शामिल हैं। प्रस्तुत है उनकी कविता - व्याकुल चाह ।
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