राजे आनंद आत्मा का स्वरुप है। आत्मा अनत है इसलिए आनंद भी अनंत है।
आत्मा के स्वरूप के कारण व्यक्ति स्वयं से हर क्षण प्रेम करता है। क्या कभी सोचा
है कभी व्यक्ति जब बूढ़ा हो जाता है ? बीमार हो जाता है, इंद्रियँ साथ छोड़ रही
होती है ? मौत द्वार खटखटा रही होती है फिर भी आदमी जीना चाहता है, क्यूँ ?
क्योंकि हर व्यक्ति स्वयं से हर समय हर क्षण हर पल प्रेम करता है। यदि दुःख स्वयं
का स्वरूप होता तो क्या मनुष्य कभी स्वयं से इतना प्रेम करता। तुमने ये सोचा है।
कि कभी- कभी आत्मा हत्या का विचार मन में क्यों आता है।
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