राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय
स्वामी तुम काज बनाए सबन के ॥टेक॥
जो कोई सरन तुम्हारी आया दीं ग़रीबी पन ले।
सभी भार उसका तुम लीना दुक्ख हरे तन मन के ॥१॥
परमारथ हम बूझ न जाना सुक्ख चहे इन्द्रियन के।
स्वारथ अर्थ बसा हिरदे में अन्तर रगन रगन के ॥२॥
🙏🙏 पोथी - "प्रेम बिलास"
पृष्ठ - 150
🙏🙏राधास्वामी🙏🙏
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