श्रद्धेय दत्तोपंत जी ठेंगड़ी का अत्यंत महत्वपूर्ण बौद्धिक वर्ग जो 1972 के द्वितीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग में पुणे में दिया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूलभूत वैचारिक अधिष्ठान को अपनी विशिष्ट शैली में अत्यंत सरल और तर्कपूर्ण प्रस्तुत किया है जो सभी देशभक्तों के लिये बार-बार स्मरण करने योग्य है। "संगठन माने जीवमान समाज की स्वभाविक अवस्था" "स्वयंसेवक माने संस्कारित हिन्दू" "सभी लोगों में संस्कार अलग-अलग मात्रा में होना संभव है।" " संघ की कार्यपद्धति स्वयंपूर्ण है।" सारा बौद्धिक वर्ग श्रद्धेय दत्तोपंत जी ठेंगड़ी की ओजस्वी वाणी में सुने।
इस शाश्वत महत्व के बौद्धिक वर्ग का ध्वनि-फीत अपने संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय श्री विश्वास जी तामणकर,पुणे ने उपलब्ध करवाया है। Audio Restoration and Digitization का कार्य स्वदेशी विचार केन्द्र जोधपुर के कार्यकर्ताओं ने सम्पन्न किया है।#DATTOPANTTHENGADI#RSS#SSV2ndPUNE1972
Official website- dbthengadi.in
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