परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो में सहारनपुर यूपी के बारे में कुछ बताये हैं
मैं जिनकी बहुत दिल से इज्जत करता हूँ और बहुत अरसे से मेरी तमन्ना थी की जहाँ देवो की बन्दगी की जाती हैं खुदा की जहाँ बन्दगी की जाती हैं ऐसे इस भगवान की धरती पर मुझे आमंत्रित किया हैं मैं प्रथम भाई महमूद मदनी साहब का मौलाना साहब का हृदय से शुक्र गुजार हूँ की आप सब ने मझे ईश्वर का भगवान अल्लाह का खुदा के बंदो का दर्शन करने का मौका दिया मैं मौलानाकारी उस्मान साहब का भी बहुत शुक्र गुजार हूँ उनको हृदय से धन्यवाद देता हूँ और मेरे आगे पीछे जो महान आत्माएं हैं उन सबके साथ इस दोपहर की धुप में आपकी धैर्य को हिम्मत को मैं सलाम करता हूँ सभी मेरे मुश्लिम भाईयों को अस्लाम वालेकुम और मेरा आपको प्रणाम हैं नमस्ते हैं और इसलिये की मैं आपको इस टोपी से वस्त्रो से ढका हुआ कोई मुशलमान नही मैं आपके भीतर उस खुदा के नूर को देखता हूँ और भारत मैं के तकदीर और भविष्य को देखता हूँ आप एक सामान्य इंसान नही हैं भगवान ने उस अल्लाह ने एक विशेष शक्ति देकर अल्लाह खुदा ने भाषाओँ में चाहे उसको हमने भगवान कहाँ ईश्वर कहाँ परमात्मा कहाँ अल्लाह कहाँ खुदा कहाँ हमने इबादत भी अलग अलग भाषाओं में की हो संस्कृत में उर्दू में अरबी फारसी में हमने कही मंत्र बोलकर इबादत की हो तो कही हमने वो परमात्मा वो खुदा जो सारी दुनिया का मालिक हैं हमने चाहे उसे अलग भाषा में अलग अलग नाम दिए हो खुदा का नाम हिंदी में अंग्रेजी में संस्कृत में अलग अलग नाम हो सकते हैं लेकिन वो परमात्मा अलग नही हो सकता और हम उस खुदा के बंदे भी एकथे एक हैं और एक रहेंगे भारत के प्रथम स्वतंत्र संग्राम से लेकर के बहादुर साह जफर का वो सफर बेगम हजरत मेहेल वक्त खां और अजीम मुल्ला से लेकर के राम प्रसाद बिस्मिल के हमसफर अस्फुक उल्लाह खां तक देश की आजादी से लेकर के और देश की हिफाजत की सफर में मैं एपीजी अबदुलकलाम का नाम लू तो वो हमारे गौरव हैं माने मुशालमानो ने इस देश की आजादी से लेकर के इस देश की हिफाजत को लेकर के इस देश की तरक्की में जो योगदान दिया हैं उसको ये वतन कभी भुला नही सकता और आज भी मुझसे को बात करता हैं और कहता हैं बाबा कहाँ जा रहे हो पहली बार इस देव बंध की धरती पर मिल रहा हूँ इस जलसे में मिल रहा हूँ मुझसे कहाँ बाबा वहां तो सारे टोपी वाले होंगे वहां आपको कोई खतरा तो नही होगा मैंने कहाँ वो मेरे भाई हैं इसलिए मुझे उनसे खतरा नही हो सकता क्योकि उनका और मेरा खून एक हैं ये खून रंग ही एक मात्र रंग नही हैं की लाल खून हैं आपके अंदर और मेरे अंदर इस खून मे एक और हमारे पूर्वजो का इतिहास हैं आपके और हमारे पूजा पाठ की पद्धतिया अलग हो सकती हैं लेकिन आपके और मेरे पूर्वज एक ही हैं इसलिये कभी नही भूल सकते तो आखिर भेद किस बात का जब योग बात की आती हैं तो मैं हमारे इन सब महापुरुषों का मौलानाओं का जिन्होंने कहाँ की योग जो हैं धर्म से मजह्प से परे हैं और बात करू और योग की बात ना करू तो नाइंसाफी होगी मैं लोगो को साँस लेना सिखाता हूँ आप नमाज पढ़ते हैं यदि कोई पांच बार नमाज पढ़ता हैं तो 96 बार सजदा करता हैं तो वो मंडूक आसन करता हैं और सर्सका आसन करता हैं तो क्या फर्क हैं इस बात पर और जहाँ तक योग का प्रश्न हैं माना हमारे शरीर में आठ मुख्य शक्ति के केंद्र हैं लेकिन हमको हमारी शरीर की एक एक कोशिका को ऑक्सीजन चाहिये और ऑक्सीजन कहाँ से मिलेगा साँस लम्बा भरने से मिलेगा अब हिन्दू ले मुशलमान ले इसाई ले साँस तो उपर से ले सकते हैं अब मान लीजिये किसी को साँस की बीमारी हैं और उसने योग किया तो वह बीमारी ठीक हो गयी तो उसमे मजहप कहाँ से आया मान लीजिये किसी का पेट मोटा हो गया और उसने कपालभाति कर लिया तो इससे हमारे पेट हल्के हो जायेंगे और आप सीखना चाहते हैं तो श्वास को एक बार भरो और एक बार छोड़ दो अगर हमारी लीवर की किडनी की हिफाजत करनी हैं तो वो हैं कपालभाति इसको दस पन्द्रह मिनट कर ले इसमें ना कोई ओम आता ना कोई अल्लाह आता हैं इसमें सिर्फ अपना शरीर ठीक हो जाता हैं मैंने देश में सैकड़ो शिविर किये हैं
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Негізгі бет Swami Ramdev at Deoband in Saharanpur, Uttar Pradesh | November 2009
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