उत्तराखंड के श्रीनगर के धारी गांव की कुलदेवी मां धारी देवी (Maa Dhari Devi) उत्तराखंड की संरक्षक (Guardian Deity) भी हैं. उनका
मंदिर श्रीनगर-बद्रीनाथ (Srinagar-Badrinath Highway) राजमार्ग पर कल्यासौर में है. यह श्रीनगर, उत्तराखंड (Uttarakhand) से
लगभग 15 किमी, रुद्रप्रयाग से 20 किमी और दिल्ली से 360 किमी दूर है. किंवदंति है कि मां धारी देवी की मूर्ति का ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी
(Alaknanda River) में बहकर आया था, तभी से मूर्ति यहां प्रतिष्ठित है. मान्यता है कि धारी देवी सुबह के समय चंचल बच्ची, दोपहर के समय युवा
तो शयनकाल की आरती के बाद प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं. मूर्ति की निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां माता काली (Kali) के रूप में उनकी
आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार कालीमठ में देवी काली ने रक्तबीज राक्षस (Raktabija Demon) का संहार किया था और उसके बाद
देवी पृथ्वी के नीचे चली गई थीं. साल भर भक्त मां धारी देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं, लेकिन दुर्गा पूजा (Durga Puja) व नवरात्री में विशेष पूजा मंदिर
में होती है.
Негізгі бет तीन बार रूप बदलने वाली मां धारी देवी की सच्ची कहानी
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