Күн бұрынतेरे यूं ही गए रे बंदे सब दिन नहीं गए||कथावाचक दयानंद सागर||मुटकाबाद लक्सर जिला हरिद्वार Рет қаралды 1,864sant gyan ganga 1 1 Жүктеу
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