Baba School of Music Varanasi
जीवनी-विवरण
"पंडित रविनाथ मिश्रा"
बनारस घराने के "ताल वाद्य शिरोमणि" पंडित कण्ठे महाराज (दादा गुरु) परम्परा के प्रतिनिधि तबलावादकों में प्रमुख 30 अक्टूबर 1956 को कबीरचौरा, वाराणसी के प्रतिष्ठित संगीतज्ञ परिवार में जन्मे रविनाथ मिश्रा की विधिवत शिक्षा अपने पूज्य पिता एवं तबला के विद्वान गुरु पंडित बद्री महाराज जी के सानिध्य में हुई। आपने पिताश्री के वर्षों के अनुभव को गुरुकृपा से अल्प समय में आत्मसात कर अपने निरन्तर अभ्यास, अपनी कल्पनाशक्ति एवं कुशल सूझ-बूझ द्वारा तबले के विभिन्न घरानों के सौन्दर्य तत्त्वों को अपने वादन में समाहित किया है। आपने देश व विदेश के राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय संगीत मंचों पर तबला स्वतंत्र वादन तथा गायक, वादन एवं नर्तक कलाकारों के साथ उत्कृष्ट तबला संगत कर देश के ख्यातिप्राप्त "चौमुखी तबलावादक" होने का गौरव प्राप्त किया है। आपने प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर "भातखण्डे स्वर्णजयन्ती", "हीरक जयन्ती", "उ.प्र. सं.ना. अकादमी", कथक केन्द्र में "अवध संध्या", "राष्ट्रीय कथक समारोह" (लखनऊ), "प्रयाग संगीत सम्मेलन", "उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र" (इलाहाबाद), "स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन" (मुम्बई), "पं. उदय शंकर फेस्टिवल' (कोलकाता), "पं. कण्ठे महाराज संगीत समारोह" (पटना), "नाना साहब पानसे" (म.प्र.), "पं. ओंकारनाथ ठाकुर” एवं “पं. लालमणि मिश्र समृति संगीत समारोह" (कानपुर), "पं. बद्री महाराज संगीत समारोह" (लखनऊ) एवं "उ. अलाउद्दीन खां संगीत समारोह" (मैहर), "सवाई गन्धर्व म्यूजिक फेस्टिवल" (पुणे), "मैंगो फेस्टिवल" एवं "म्यूजिक गोल्ड फेस्टिवल" (हैदराबाद), "रिम्पा फेस्टिवल", "दुर्गा संगीत समारोह", "शिवरात्रि संगीत समारोह", "संकट मोचन संगीत समारोह" (वाराणसी), "गंगा महोत्सव", "ताज महोत्सव", "झांसी महोत्सव", "बुद्ध महोत्सव", "खजुराहो महोत्सव", "वृन्दावन महोत्सव" एवं "लखनऊ महोत्सव" आदि, भारत भवन (भोपाल), संगीत नाटक अकादमी एवं कथक केन्द्र (दिल्ली), सहित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आई.सी.सी.आर. भारत सरकार एवं व्यक्तिगत संस्थाओं द्वारा जर्मनी, बर्लिन,इटली, रूमानियाँ, स्विटजरलैण्ड, लंदन, कनाडा, इजिप्ट, इस्रलायल, पाकिस्तान
एवं बांग्लादेश आदि देशों में अनेकों मंच पर अपनी सफल सांगीतिक यात्रा की है।
आप प्रसार भारती के आकाशवाणी/दूरदर्शन के "ए. ग्रेड” के प्रतिष्ठित कलाकार
हैं और पिछले 55 वर्षों से तबला वादन के क्षेत्र में निरन्तर क्रियाशील हैं तथा
आज तक सैकड़ों विद्यार्थियों को तबले की संस्थागत प्रणाली एवं गुरु शिष्य परंपरा
के अन्तर्गत शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। जिसके फलस्वरूप तबला वादन के क्षेत्र में
विशिष्ट योगदान के लिए पं. रविनाथ मिश्रा जी को वर्ष 2006 के अकादमी
पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सम्प्रति भारतखण्डे संगीत विश्वविद्यालय,
लखनऊ के ताल वाद्य विभाग में विगत 44 वर्षों से कार्य करते हुए पिछले 14 वर्ष
से असिस्टेण्ट प्रोफेसर (तबला) के गरिमामयी पद पर कार्यरत हैं तथा समय-समय
पर भारत के अन्य विश्वविद्यालय में संगीत विभाग द्वारा आपको परीक्षक के लिए
आमंत्रित किया जाता है। आपने उच्च शिक्षा में इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय
खैरागढ़ से सन् 2003 में बी. म्यूज. एवं 2005 में एम. म्यूज. की डिग्री प्रथम
श्रेणी मेरिट के साथ उत्तीर्ण किया है। साथ ही आपको देश के प्रतिष्ठित संस्थाओं
द्वारा “तबला तालमणि", "तबला कलारत्न", "तबला शिरोमणि", "तबला
प्रवीण" तथा "बेस्ट तबलावादक" जैसी उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है।
वर्तमान समय में आप बनारस घराने के तबला वादन की विशिष्ट बंदिशों पर एवं
पुस्तक प्रकाशित करने के कार्य में संलग्न हैं जो भविष्य में तबला के विद्यार्थियों के
लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Негізгі бет Tabla lesson||बनारस घराना:परम्परा एवं वादन तकनीक पर चर्चा ||पंडित रविनाथ मिश्रा|| रवि कुमार त्रिपाठी
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