खबर है कि टीएन शेषन इन दिनों ओल्ड एज होम में दिन बिता रहे हैं. उनकी याद्दाश्त भी कुछ-कुछ जा चुकी है. एक वक्त था, जब उनके बारे में सोचने भर से देश के कई नेताओं की याद्दाश्त गायब सी होने लगती थी. चीफ इलेक्शन कमिश्नर, टीएन शेषन की छवि कुछ ऐसी बनी कि कहा जाने लगा- भारत के नेता सिर्फ दो चीजों से डरते हैं. एक भगवान और दूसरे टीएन शेषन. शेषन की ये छवि बेवजह नहीं थी. 1991 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे. ये यूं भी सियासी तौर पर एक उबलता हुआ साल था. शेषन ने यूपी के सभी डीएम, पुलिस अफसरों और चुनाव की जिम्मेदारी संभालने वाले करीब 300 पर्यवेक्षकों को साफ कर दिया कि अगर चुनाव में कोई भी गलती होती है तो बख्शा नहीं जाएगा. बतौर इलेक्शन कमिश्नर शेषन का सबसे दिलचस्प और मुश्किल चुनाव आया साल 1995 में. जगह थी--बिहार. शेषन को कोई कोताही बर्दाश्त नहीं थी. वो जरा भी शक होने पर चुनाव रद्द कर देते. चार बार चुनाव की तारीख आगे बढ़ चुकी थी. एक तरह से सीएम लालू प्रसाद यादव का मुकाबला विपक्ष से न होकर सीधे शेषन से हो गया. संकर्षण ठाकुर अपनी किताब- द ब्रदर्स बिहारी में लिखते हैं- लालू अपने जनता दरबार में शेषन को जमकर लानतें भेजते. वो अपने ही अंदाज में कहते- शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर के गंगाजी में हेला देंगे.
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Негізгі бет TN Seshan ने चुनाव आयोग को नया दमखम दिया, 1995 Bihar चुनाव में लालू को आया गुस्सा |Quint Hindi
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