एकाध बहस जब हम ऐसी सुन लेते है जिस में दिल और दिमाग के बीच कोई टकराव हो तो फिर हम उस मुद्दे पर गहराई से सोचने लगते है और बात की जड़ को छू लेना चाहते है जब की बात परम की खोज के और उसकी निकटता पाने के संबंध में हो , मान लेना ये तो श्रद्धा का विषय होता है लेकिन जान लेना ये तो ज्ञान और जिज्ञासा का। तो ज्ञान और प्रेम के बीच जो संघर्ष होता है तो ये दोनो ही विषय हमे छूते है क्योंकि एक तो भीतर की अंतर वीना के तारो को झंकृत करने वाला और दूसरा विषय दिमाग की जंग लगी नसों को खोलदेने वाला। रब को मानना जरूरी होता है की जानना।
- Жыл бұрын
"TO BELIEVE Or "TO SEARCH" ?!
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