#immunity booster #प्रतिरोधक क्षमता महान आयुर्वेदाचार्य अनंत जी की प्रस्तुति अन्नतायुर्वेद
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#क्लोमन्_कल्प_सूत्र
Anant
स्मोकिंग से डेमेझ हूवे फेफड़ों को भी रीकवर कर देगा...
कंपलिट होने मे बारह से पंद्रह दीन लगेगे...
25-32 नेनोमिटर साईज के पार्टीकल्स है...25mg की डोझ है...
फोटो मे तिन पेकेट है
---×--- सिम्बॉलिक शुद्ध शहद के साथ लेना है.
---------- सिम्बॉलिक सिधा जिभ पर रख देना है.
●तिसरा पेकेट खाली है
पेकेट को आराम से खोलना है और ध्यान रहे की पार्टीकल्स से हाथ उंगली ना छूवे वरना चिपक जाएगें और फीर आसानी से जायेगे नही उपर से वेस्ट होगें वह अलग बात...
पहली खूराक शहद के साथ देनी है,
दूसरी खूराक बिना शहद की...
★एक पेकेट मे सात खूराक है,दो पेकेट की मिलाकर टोटल चौदह खूराक...
★पेकेट खोलना है आराम से डीब्बी मे प्लास्टिक स्ट्रीप रखी है फोटो मे देख सकते...उनसे सात समान हीस्से करने है.... सेट की हूयी खूराक खाली पेकेट मे रख सकते है जिनसें लेने मे सरलता हो...पेकेट अंदर से डबल लेयर(फोटो रखी हैं) सिक्युर है तो दूसरे लेयर मे भी रख सखते है।
◆◆सबसे महत्वपूर्ण बात◆◆
★चौदह खूरा कहे दो पेकेट को मिलाकर उनमे शुरुआत शहदवाली खुराक के साथ करनी है और समस्या ठिक होने के बाद मेडीशीन बंद कर देनी है!
◆चौदह खूराक मेक्षिमम है उनमे 3-7-12 खूराक का क्रम है उनमे रीकवर हो जाये तो बाकी बची मेडीशीन दूसरज मरीजों को कीसि गरीब को या अपने स्नेह संबंधियों को भी दे सकतें हैं।
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#क्लोमन्_कल्प_सूत्र_2
Anant
सबसे पहले पेकेट के अंदर पार्टीकल्स को स्ट्रीप से काटना है(हल्के हाथ के प्रेशर से) नेनो पार्टीकल्स मे एक गुण आ जाता है चिपकने का तो आपस मे चिपक जाते...कमसे कम 200 बार काटना है...खूराक लेते वक्त प्रत्येक खूराक मे पार्टीकल्स की मात्रा समान रहे...
सात-सात हीस्से के दो पेकेट मे एक शहद के साथ एक बिना शहद के देना है एक-एक दीन के अंतराल मे यानि पहले दीन शहद के साथ दीया दूसरे दीन बिना शहद वाली खूराक देनी है...
शहद मे आधा चम्मच यानि 3-4gm शहद(शहद शुद्ध होना जरूरी) लेना है उनमे खूराक मिलानी और उंगली से पांच मिनिट घौलना है...पार्टीकल्स घुलमिल कर अलग हो जाएगे फीर पेशन्ट के मूंह मे रख देना है।
सबसे पहले पेशन्ट की कंडीशन देखनी है...शरीर कमजोर हूवा या कंडीशन ज्यादा खराब हुयी तब एक खुराक का आधा हीस्सा देना है... कारण है उर्जा का स्तर बढेगा बोडी मे दूसरा की mucus यानि कफ जो जमा है फेफड़ों मे वह रीमूव होगा तब डीटोक्स और रीजनरेशन पर तालमेल बनाना है वरना रीजनरेशन फास्ट होगा और डीटोक्स कम(जो फेफड़ों से डेथ सेल्स और कफ निकलेगा) उनकी मात्रा मे तालमेल बनाना है...और क्रीटीकल केसस् पर देने से पहले एक बार सलाह जरूर ले...आगे दो तिन केसस् रीकवरड करेगें फीर आपके पास अनुभव भी होगा और आत्मविश्वास भी...
स्वस्थ व्यक्ति या नोर्मल डीसिझ मे चिंता नही उनमे एक खूराक के हीसाब से दे सकतें...
पार्टीकल्स जिभ पर रखते ही स्लाईवा के साथ खून मे मिलने शुरु हो जाएगा...खून मे नसों मे दोडते फील होगे उर्जा के ब्लास्ट छोटे छोटे...
जिनमे फेफड़ों को छोड बोडी के बाकी हीस्सों पर भी प्रभाव रीकवरी दीखेगि...रुट पुरा कंपलिट होता जाएगा।
कारण है फेफड़ों शरीर का कोई अलग हीस्सा नही तो ईनमे बचपन से यानि जन्म से फेफड़ों की जो साईज बढती...नवीनीकरण होता उनमे बाकी सिस्टम का महत्वपूर्ण रॉल होता और फोर्मूला को फोर्मुलेशन ईसतरह कीया जाता है जिनसे वह पुरा रुट क्लियर हो एक तरह से सेल्स को उर्झा मिलती हैं जो पार्टीकल्स को डाईजेस्ट कर होता है जिनमे तालमेल देखना जरूरी है... जितना कचरा निकलेगा उनके रीमूव की जगह और नये निर्माण के बिच तालमेल बनाना है कचरा पूरी तरह बहार नही निकलेगा और अंदर से नवनिर्माण शुरु रहा तब कचरे की मात्रा बढेगी...
क्रीटीकल केसस् मे देखना है जो अलरेडी पेशन्ट से कनेक्ट होगा ओक्सिजन लेवल,पल्सरेट,ब्लड प्रेशर और खुद पेशन्ट से रीव्यु लेते रहना 'कैसा लग रहा'...
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