वचन 66, अंदर धरों का सिलसिला जारी है, जिस धार से संबंध जुड़ जाता है वही देवता सिद्ध हो जाता है , चाहे इसकी खवर जीव को न हो, पर हकीकत यही है, जीव को बस लगता है कि सब हमने किया पर यह अन्तर के अंतर जो शक्ति है वह सब काम करा रही है।
पुराने जमाने की जो रीतियां थी वह सही थी पर अब नकल है।
परमार्थ के लिए सबसे तोड़नी पड़ेगी धीरे धीरे, सभी देवी देवता का अदब करना चाहिए वे बुजुर्ग है,
पर सच्ची प्रीत राधास्वामी दयाल के चरणों में होने से भक्ति बनेगी।।
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Негізгі бет वचन 66, सभी देवी देवता का अदब करना चाहिए वे बुजुर्ग हैं पर मुख्य प्रीत राधास्वामी दयाल से (SD)
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