यज्ञकर्म जन्य फल प्राप्ति हेतु शास्त्रोक्त मापीय कुंडो की आवश्यकता होती है। पांच अंगो से युक्त ही कुंड कहलाता है। खात, कंठ, मेखला, नाभि, योनि से सहित कुंड ही वेदोक्त फल को देने में समर्थ होता है। इससे हीन अंग वाला कुंड नही कहलाता है तथा उससेे अनिष्ट फल की भी प्राप्ति होती है। कुंड की मेखला (जो अधिक महत्वपूर्ण है तथा कुंड की भव्यता को बढ़ाती है) निर्माण के अनेक पक्ष होते हैं तथा इनके पृथक् पृथक् स्वामी भी होते हैं। योनि निर्माण के २ प्रकार है। इन सभी पांच अंगो युक्त कुंड का पूर्ण विवरण इस वीडियो में बताया गया है। कृपया आप सभी इस वीडियो को देखें और आगे भी बढ़ाये। वीडियो अच्छा लगने पर चैनल को subscribe करें।
- 4 жыл бұрын
वैदिक विधि से मंडप एवं कुंड निर्माण की प्रक्रिया तथा महत्त्व एवं प्रकार । Vedic Havan Kunda Yagya
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