🍂पहले हमारा स्वभाव था मक्खी जैसा जो गंदगी में पड़ा रहता था , गुरु ने मधु मक्खी बना दिया, अब सबके गुण ही दिखाई देते है,,,,,,,,,,,।
🍂सीता मैया ने सोने के हिरण में मन रखा श्री राम से दूर हो गई, रावण उठा गया, हमे भी माया रूपी रावण से बचना है तो प्रभु की शरण मे ही रहना होगा,,,,,,,,,,,,,।
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Негізгі бет वक़्त की अच्छी आदत होती है जैसा भी हो गुजर ही जाता है | Divine Pramila bhagwan | Paramgyan
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