हिमालयी के ऊपरी इलाकों में यूं तो सैकड़ों खूबसूरत ताल हैं. लेकिन भौगोलिक कठिनाइयों और रास्ते का पता न होने के कारण इन सभी तक पंहुचना बेहद मुश्किल है. केदारनाथ से कुछ दूरी पर स्थित वासुकी ताल और बदरीनाथ-माणा से 25 किमी दूर सतोपंथ ताल तक, कठिन भौगौलिक परिस्थितियों के बाद भी पहुंचा जा सकता है.हिमालय की चोटियों की तलहटी में ये दोनों ताल बेहद खूबसूरत हैं. इनका धार्मिक महत्व भी पौराणिक ग्रंन्थों में कई स्थानों पर बताया गया है. हिमालय के ऊपरी इलाकों में स्थित और कठिन भौगौलिक परिस्थितियों के बाबजूद भी इनके रास्तों की खूबसूरती ट्रैकरों और श्रद्धालुओं का हौसला बनाएं रखती हैं. इन दोनों तालों तक पहुंचने के बाद यहां का सौन्दर्य देख कर यात्री अपनी सारी थकान भूल जाते हैं. यात्री तालों की सुन्दरता में और हिमालय में हर समय पैदा होने वाली अज्ञात, असाधारण आध्यात्मिक माहौल में डूब जाते हैं.
केदारनाथ धाम (11300 फीट) से लगभग 8 किलोमीटर दूर वासुकी ताल (13300 फीट) एक बेहद खूबसूरत छोटी झील है. केदारनाथ से वासुकी ताल पंहुचने के लिए मंदाकिनी के तट से लगे पुराने घोड़ा पड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्गम की ओर सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है. नाक की सीध में 4 किमी की चढ़ाई चढ़कर खिरयोड़ धार (सबसे ऊंची जगह) के बाद पहली बार खुला मैदान दिखता है. यहां से 2 किमी हलकी चढ़ाई के बाद केदारनाथ-वासुकी ताल ट्रैक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय-विजय धार (14000 फीट) आती है.इस जय-विजय धार से लगभग 200 मीटर उतरकर वासुकी ताल के दर्शन होने लगते हैं. आगे की 2 किमी की दूरी पर बड़े-बड़े पत्थरों के बीच पैरों को संतुलित करना बेहद मुश्किल काम है.यहां हर तरफ आपको दिखेंगे ब्रह्मकमल: जय विजय धार को पार करते ही चारों और ब्रह्मकमल और अन्य जड़ी बूटियों की खूशबू आपको मंत्रमुग्ध कर देती है. उत्तराखंड के पहाड़ों में 12000 फीट से लेकर 14000 फीट तक पुराने ग्लैशियरों के साथ आई चट्टाने हर जगह देखने को मिलती हैं. लेकिन यह कठिन डगर, आसपास हिमालयी घास के ढलानों में बिछे फूलों और ब्रह्म कमलों की प्राकृतिक बगिया के बीच से गुजरते हुए और वासुकी ताल के हर पल बदलते रंगो को देखते हुए कट जाती है.
पूर्णमासी के दिन यहां दिखते हैं वासुकि नाग: स्कंद पुराण के अनुसार वासुकी ताल वास्तव में गंगा के अंग कालिका नदी के जलधारण करने से बना तालाब है, जहां नागों के राजा वासुकी हर पल निवास करते हैं. स्कंद पुराण में वर्णित है कि श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन इस ताल में मणि युक्त वासुकि नाग के दर्शन होते हैं.वासुकी ताल की परिधि लगभग 700 मीटर है इस तालाब के पानी से सोन नदी निकलती है. यही सोन नदी, केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी से सोनप्रयाग स्थान में मिलती है. वासुकी ताल का पानी बिल्कुल साफ है. हवा के बहाव के साथ पानी में खूबसूरती के साथ बनती तरंगे बेहद खूबसूरत लगती हैं.
साथ लें जाएं खाने का सामान: अच्छे ट्रैकर केदारनाथ से बिल्कुल सुबह चल कर वासुकी ताल घूमकर शाम तक वापस केदारनाथ (कुल 16 किमी की दूरी) आ सकते हैं. यह पूरा ट्रैक कठिन तो है ही साथ ही कम ही लोग यहां आते जाते दिखई देंगे. रास्ते में कोई बस्ती या कोई मकान- दुकान नहीं है, इसलिए अपने साथ ही खाने की सामग्री, पानी आदि ले जाना होता है.
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Негізгі бет Vasuki tal lake🙏// TREKING//by Aditya Negi 6 July 2022
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